चुनाव आयोग सख्त, 200 पार्टियों के खिलाफ होगी कार्यवाही
नई दिल्ली| पिछले 10 सालों से जिन राजनीतिक दलों ने चुनाव नहीं लड़ा है चुनाव आयोग ऐसी 200 राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने जा रहा है। इन 200 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द होने के बाद से ये पार्टियां चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। चुनाव आयोग ऐसे राजनीतिक दलों की सूचना केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को पत्र लिखकर देगा ताकि वह इन पार्टियों के चंदे की जांच कर सके। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल किया जिसके तहत वह सभी चुनावों की कार्रवाई के नियंत्रण का अधिकार देता है। 200 पार्टियों के खिलाफ होगी कार्यवाही
चुनाव आयोग के अधिकारियों को शक है कि इनमें से कई राजनीतिक दल काले धन को सफेद करने के लिए बनाए गए हैं। जबकि 2005 से इन राजनीतिक दलों ने कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है और यह पार्टियां सिर्फ पेपर पर हैं।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के चुनाव आयोग के सूत्रों मुताबिक, यह तो अभी शुरुआत है और जल्द ही जो राजनीतिक दल गंभीर नहीं है उन सब को भी कार्रवाई करने की तैयारी है। इनमें से कई राजनीतिक दल ऐसे हैं जो इनकम टैक्स ही नहीं भरते हैं और कुछ भरते हैं तो वह इसकी कॉपी चुनाव आयोग को नहीं भेजते हैं।
चुनाव आयोग इन राजनीतिक पार्टियों की सूची सीबीडीटी को इसलिए भेजेगा ताकि वह उनकी वित्तीय मामलों की जांच करें क्योंकि पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से बाहर होने के बाद वह फायदों से वंचित हो जाएंगे।
इससे पहले चुनाव आयोग ने सरकार से सिफारिश की थी कि राजनीति में कालेधन और धनशोधन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कानून में संशोधन करे जिससे कि कर में छूट उन्हीं पार्टियों को मिले जो चुनाव में सीटें जीतें और दो हजार रुपये एवं उसके ऊपर दिये जाने वाले गुप्त चंदों पर रोक लगे। आयकर कानून, 1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर कर छूट प्रदान करती है।
बता दें कि राजनीतिक दलों की ओर से अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर ‘परोक्ष आंशिक प्रतिबंध’ है। लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।