जेएनयू का वायरस ग्वालियर में भी सेमीनार की आड़ में राष्ट्रवादियों पर हमला
ग्वालियर। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (नेहरू) से शुरू हुआ राष्ट्रविरोधी प्रकरण अब धीरे-धीरे देश के सुदूर क्षेत्रों में वायरस की तरह फैलने लगा है। इसने रविवार को ग्वालियर शहर में भी जहर फैलाया। मौका था भीमराव अंबेडकर साहेब के सपनों को पूरा करने संबंधी बालभवन में आयोजित एक सेमीनार का जिसमें जेएनयू के एक प्रोफेसर व कांग्रेस के रसूखदार नेता के करीबी ने शिरकत की थी। बात यहां तक तो ठीक थी, लेकिन वक्ताओं के विषयांतर होते ही माहौल को विषाक्त बना दिया, जिसकी परिणति कन्हैया कुमार के समर्थन में नारेबाजी से हुई। युवा मोर्चा के कुछ सदस्यों ने जब इस कृत्य का विरोध किया तो मामला बिगड़ते देर न लगी। राष्ट्रवादी चिंतकों के पुतले जलाए जाने लगे। देखते ही देखते बालभवन अब पथराव और अराजकता का केंद्र बन गया। पुलिस को धता बताते हुए अज्ञात लोगों ने गोली दाग दी जिससे अफरा-तफरी मच गई। गोली किसने दागी, उसका मकसद क्या था? यह तो पुलिस जांच के बाद बताएगी लेकिन बालभवन की घटना से यह सवाल जरूर उठा कि जिस विषय पर सेमीनार आयोजित किया गया था, उसके उलट वहां अचानक ही राष्ट्रवादी चिंतकों की तश्वीरें कहां से आ गईं? राष्ट्रवादी चिंतकों के पुतले भी क्या आनन-फानन में ही जलाए गए? इन सब हरकतों से एक बात तो साफ है कि देश में एक सोची समझी विषैली हवा का प्रवाह किया जा रहा है जो वायरस की तरह फैल रहा है। जिस तरह राष्ट्रवादी चिंतकों को निशाना बनाया जा रहा है उससे आशंका बनती है कि कहीं फिजा में नफरत की बयार फैलाने का काम शुरू तो नहीं हो गया है? क्योंकि आशंका निर्मूल नहीं है।
अब देखें, बाबा साहेब अंबेडकर विचार मंच के बैनर तले रविवार को सेमीनार शुरू होने तक स्थिति ठीक-ठाक थी। अब तक वक्ताओं और श्रोताओं के बीच तारतम्य भी सामंजस्यपूर्ण रहा। जेएनयू के प्रोफेसर विवेक कुमार और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले अमर सिंह के अलावा कई मूर्धन्य वक्तागण मंच की शोभा बढ़ा रहे थे। सेमीनार आगे बढ़ रहा था कि अचानक ही अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारी संगठन (अजाक्स) के जिलाध्यक्षों ने कन्हैया कुमार के समर्थन में छाती कूटना शुरू कर दिया। लगे हाथ साथ में बैठे कुछ लोगों ने दलित समुदाय से जोड़ते हुए इसका समर्थन कर दिया। यहीं से मामला पूरी तरह विषयांतर हो गया। कन्हैया कुमार के समर्थन में जब नारे लगने लगे तो सूचना युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं तक जा पहुंची। फिर वही हुआ जिसकी आशंका थी। कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम मार्ग पर अंबेडकर विचार मंच और भाजपा युवा मोर्चा के कार्याकर्ता आमने सामने थे। दोनों के बीच तू-तू मैं हुई और बात पथराव और लाठी तक जा पहुंची। इस बीच गोली किसने दागी यह जांच का विषय बना हुआ है लेकिन इस गेम का मास्टर माइंड कौन था जिसने शांत फिजा को विषाक्त बना दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक भले ही वक्ताओं ने कुछ न कहा हो लेकिन प्रोफेसर विवेक कुमार, डा अमर सिंह, की मौजूदगी आशंकाओं को बल देती हैं। क्योंकि विवेक कुमार के लिए इतना ही क्या कम है कि वे जेएनयू से जुड़े हैं जबकि डा अमर सिंह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। उनके साथ अजाक्स संयोजक पीसी जाटव, जगदीश सूर्यवंशी, समेत कई नेताओं की भूमिका भी संदेह से परे नहीं है। बहरहाल, बसपा नेता दिनेश मौर्य के घायल होने के बाद हुड़दंगियों ने रोड जाम करवाया युवा मोर्चा अध्यक्ष विवेक शर्मा के खिलाफ विश्वविद्यालय थाने में एफआईआर दर्ज कराने के बाद किसी तरह जाम हटाया गया।
अंबेडकर विचार मंच के कार्यकर्ताओं ने मचाया उत्पात, पुलिस बनी मूकदर्शक
लगभग एक घंटे तक चले इस घटनाक्रम के दौरान अंबेडकर विचार मंच के कार्यकर्ताओं ने युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की। जमकर उत्पात मचाया। यात्रियों व वाहन चालकों के साथ अभद्रता करने के साथ ही मारपीट भी की। और तो और इतना सब होते रहने के बावजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इस बीच विचार मंच के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रवादी चिंतकों के पुतले फूंके। भाजपा समेत अनुशाांगिक संगठनों के विरोध में नारेबाजी की। मामले की नजाकत को देखते हुए घटनास्थल पर पुलिस के आला अफसर भी जा पहुंचे थे तभी माहौल को नियंत्रण में लाया जा सका।