चेतना एक लेकिन उसके भाव अनेक - आनंद देसाई
कासगंज। चेतना एक है लेकिन उसके रूप अनेक है। व्यक्ति जिस रूप को आदर्श एवं प्रेरणश्रेत्र मानकर आरधना करता है उसी के अनुरूप उसके चरित्र का निर्माण होता है। ठीक इसी प्रकार ध्यान योग की क्रिया व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करती है तो वही सुदर्शन क्रिया मन को शुद्व एवं साफ करती है। उक्त विचार आर्ट आफ लिविंग के अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक आन्नद देशाई ने कासगंज मे आयोजित एक शाम अध्यात्म के नाम कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये की।
नगर के अग्रसेना सेवा सदन में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये आर्ट आफ लिविग के अन्तराष्ट्रीय शिक्षक आन्नद देसाई ने कहा कि माइन्ड मेनेजमेन्ट की कला के माध्यम से व्यक्ति अपनी हर समस्या का समाधान कर सकता है। उन्होने कहा कि जब व्यक्ति राम की आराधना करता है। तो उसके अन्दर मर्यादा का भाव पैदा होता है। कृष्ण की आराधना करने पर व्यक्ति के अन्दर मस्ती का भाव जाग्रत होता है। तो वही शिव की आराधना से शक्ति का भाव उत्पन्न होता है। गणेश की आराधना मांगलिक भाव की उत्पत्ति करता है। तो मां की आरधना ममता का भाव पैदा करती है। इस प्रकार सभी की चेतना एक होती है। लेकिन उसके भाव अनेक होते है। व्यक्ति के शरीर का निर्माण वहारी अवस्था एवं मन की व्यवस्था का तालमेल बनाकर की गयी है। उन्होने कहा कि ध्यान योग की क्रिया के चार फायदे होते है। इस ध्यान के माध्यम से व्यक्ति के अन्दर बुद्धिमत्ता, नये विचारो का श्रजन, पूर्वभास व स्व प्रेरित का भाव उत्पन्न होता है।
उन्होने कहा कि आर्ट आफ लिविग सस्था का उद्देश्य हिंसा मुक्त विश्व व तनाव मुक्त जीवन है। साथ ही उन्होने इस बात को जोर देकर कहा कि विश्व विरासत को अक्षुण बनाकर ही हम हिंसा मुक्त विश्व व तनाव मुक्त जीवन का निर्माण कर सकते है। कार्यक्रम का शुभ्भारम आर्ट आफ लिविंग के सस्थापक श्रीश्री रवि शकंर केचित्र के समीप दीप प्रज्जवलित करके किया गया। कार्यक्रम उपरान्त सह भोज का आयोजन भी किया गया इस अवसर पर स्मिता पटेल, राकेश गर्ग, सरोज अग्रवाल, अमित वाष्र्णेय पदम अग्रवाल, नवीन सक्सेना, अनीश गांघी, विशाल पाण्डेय, राजन गांघी, संतोष अग्रवाल रमन किशोर पल्तानी सहित बडी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक व आर्ट आफ लिविग के सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित थे।