प्रशासन की सुस्ती से बिगड़ता ग्वालियर का स्वास्थ्य

प्रशासन की सुस्ती से बिगड़ता ग्वालियर का स्वास्थ्य
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सरकार की कई महत्वाकांक्षी व कल्याणकारी योजनाओं को लगा पलीता

ग्वाालियर। जिलाधीश डॉ.संजय गोयल ने जब से शहर की कमान संभाली है,तब से शहर के विकास की गति अपनी दिशा नहीं पकड़ पा रही है। विकास की कई योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही दिखाई दे रही हैं। शासन की न जाने कितनी कल्याणकारी योजनाएं हैं। जिनका क्रियान्वन करना जिलाधीश के जिम्मे होता है। लेकिन इन योजनाओं का लाभ तो दूर की बात कई योजनाएं तो ऐसी हैं जो अब तक शुरु ही नहीं हुई हैं। ऐसे में लोगों का विश्वास प्रशासनिक अधिकारियों से उठता जा रहा है। वहीं ग्वालियर अन्य जिलों की अपेक्षा विकास के मामले में पिछड़ता जा रहा है।शासन की कई योजनाएं तो ऐसी हैं जिनका लाभ गरीबों और पिछड़ों को नहीं मिल पा रहा है। प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति के लिए वातानुकूलित कमरों में बैठकर फाइलों को इधर से उधर करते हुए दिखावा करते हैं कि हम बहुत मेहनत कर रहे हैं।

शहर में ध्वस्त होती जा रही स्वास्थ सेवाएं , सड़कों की खराब दशा ,शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत ,आम लोगों के लिए शासन द्वारा जारी की गई सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बेचारी जनता इसी उम्मीद में हैं कि अब तो साहब कुछ करेंगे। लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं हासिल हो रहा है। सुबह से लेकर शाम तक लोग दूर-दूर से आस लेकर जिलाधीश कार्यालय आते हैं कि उनके कार्य हो जाएं लेकिन उनकी सुनवायी तो दूर उन्हें दुत्कारा जाता है।

सरकारी अस्पताल में सेवाएं ध्वस्त
इधर स्वास्थ्य अधिकारियों की लापरवाही के कारण संभाग के सबसे बड़े जयारोग्य चिकित्सालय में डॉक्टरों के नखरों ने आम लोगों को परेशान कर रखा है। सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की कमी और समय पर न आने का खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। मरीज सुबह आठ बजे से ही डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहते हैं लेकिन डॉक्टर साहब इस समय अपने घर में चाय पीते हैं। स्थिति यह है कि डॉक्टर साहब लंच करने के बाद एक बजे तक हॉस्पिटल में आते हैं और मरीजों को देखते हैं। पैसे वाले लोग तो अपना इलाज निजी हॉस्पिटल में करवा लेते हैं लेकिन जिनके पास पैसे नहीं होते हैं, जो गरीब होते हैं वो मजबूरी में सरकारी अस्पताल के चक्कर काटते रहते हैं। बदले में उनको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि डॉक्टरों के पास समय नहीं होता है।
शासन की योजनाओं को लग रहा पलीता
शासन ने प्रत्येक वर्ग के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं को शुरु किया है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के गैर जिम्मेदार रवैये के कारण लोग परेशान हैं। विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। इस कारण से शासन की मंशा के अनुसार योजनाओं का लाभ नियमानुसार पात्र व्यक्तियों एवं जन मानस को नहीं मिल पा रहा है। आलम तो ये है कि प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवायी में सैंकड़ों आवेदन धूल खा रहे हैं। इन आवेदनों पर अधिकारी सील लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेेते हैं।

योजनाओं की नहीं हो रही मॉनीटरिंग
सूत्र बताते हैं कि कई महिनों से मनरेगा के कार्यो की बिन्दुवार गहन समीक्षा नहीं हुई है,और तो और कई गांव ऐसे हैं जहां मनरेगा का कार्य शुरू नही हुआ है। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही में हुई प्राकृतिक आपदा से किसान पीडि़त है। ऐसे में मनरेगा मे काम कर रहे किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। शासन की योजनाओं में अधिक से अधिक रोजगार सृजित कर गांव वालों को नियमानुसार लाभ पहुंचाया जाए। लेकिन अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। इसके साथ ही सहकारिता, उद्यान,चिकित्सा, आगनवाड़ी, विद्युत, कौशल विकास मिशन, छात्रवृत्ति, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, जिला पंचायत, उद्योग, स्वच्छ शौचालय, सोलर लाइट, सम्पर्क मार्ग के कई मुद्दों पर प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान ही नहीं है।

विक्टोरिया मार्केट का अब तक नहीं हुआ जीर्णोद्वार
कई सालों बाद भी शासन द्वारा स्वीकृत बजट के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही के कारण अग्रिकांड से तबाह हुई विक्टोरिया मार्केट की सुंदरता फिर से उभर कर सामने नहीं आ रही है। दो साल से संरक्षित धरोहर के बाहर टीन शेड लगाकर बजट पर पलीता लगाया जा रहा है। कोई भी अधिकारी ये बताने को तैयार नहीं हैं कि कब तक विक्टोरिया मार्केट का जीर्णोद्धार होगा।

करोड़ों खर्च के बाद भी स्वर्ण रेखा नदी मैली
शहर को सुंदर बनाने के लिए शहर के मुख्य मार्गों से निकलने वाली स्वर्ण रेखा नदी में स्वच्छ पानी के साथ बोटिंग कराने का सपना अब सपना रह गया है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्वर्ण रेखा नदी नहीं नाले के नाम से ही सम्बोधित की जाती है। पीएचई और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी इस दिशा में कोई उचित कार्य नहीं कर रहे हैं।

पी. नरहरि ने दी थी नई दिशा
शहर के विकास के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वन पूर्व जिलाधीश पी नरहरि ने किया था। उन्हें कई बार उत्कृष्ट योजनाओं को शुरु करने और उसका लाभ सभी को मिलने पर पुरस्कृत किया गया था। इनमें भू्रण हत्या को रोकने,अल्ट्रासांउड में ट्रेकर सिस्टम लगाने जैसी योजनाओं को देश भर में सराहा गया था। लेकिन इसके उलट अब ट्रेकर सिस्टम कार्य कर रहा है या नहीं,ये देखना तो दूर अल्ट्रासांउड और पैथालॉजी लेब पर किसी भी प्रकार की सरकारी मॉनीटरिंग नहीं होती है। इससे प्रतीत होता है कि प्रशासन कितना गंभीर है।

''शहर में शासन की योजनाओं के क्रियान्वन न होने के बारे में जब स्वदेश ने ग्वालियर के प्रभारी मंत्री जयंत मलैया से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अधिकारियों की लापरवाही के कारण लोगों को न मिल पाना बड़ी ही गंभीर बात है। मैं 5 अप्रैल को ग्वालियर आ रहा हूं। इसके बारे में चर्चा करूंगा।''

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