जम्मू-कश्मीर: हिंसाग्रस्त हंदवाड़ा में प्रतिबंधों में ढील
जम्मू-कश्मीर: हिंसाग्रस्त हंदवाड़ा में प्रतिबंधों में ढील
श्रीनगर | उत्तरी कश्मीर के हिंसाग्रस्त हंदवाड़ा शहर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंधों में मंगलवार को चार घंटे के लिए ढील दी गई लेकिन उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा एवं त्रेहगाम में प्रतिबंध जारी रहे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हंदवाड़ा शहर में सुबह आठ बजे से दोपहर 12 तक प्रतिबंधों में चार घंटे की ढील दी गई। यदि हालात शांतिपूर्ण रहते हैं तो इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिंसा प्रभावित क्षेत्र में अभी तक हालात शांतिपूर्ण हैं। दूसरी ओर, हिंसा प्रभावित हंदवाड़ा शहर में आज स्थानीय निकाय अधिकारियों ने मुख्य बाजार से सुरक्षा बलों के तीन बंकर हटाए।
हालांकि हिंसा की आशंका के मद्देनजर कुपवाड़ा और त्रेहगाम शहरों में लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध में कोई राहत नहीं दी गई। प्रतिबंध में कल तीन घंटे ढील दी गई थी लेकिन हिंसक प्रदर्शनों के बाद फिर से प्रतिबंध लागू करने पड़े। कथित रूप से सेना के एक जवान की ओर से एक लड़की के साथ गत मंगलवार को कथित छेड़खानी किए जाने के मामले में हिंसक प्रदर्शनों के बाद हंदवाड़ा शहर और निकटवर्ती इलाकों में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लागू कर दिए गए थे। प्रदर्शनकारियों पर मंगलवार को सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि दृग्मुल्ला में बुधवार और नाथनुसा में शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में दो अन्य लोगों की मौत हो गई।
दूसरी ओर, उत्तरी कश्मीर के हिंसा प्रभावित हंदवाड़ा शहर में आज स्थानीय निकाय अधिकारियों ने मुख्य बाजार से सुरक्षा बलों के तीन बंकर हटाए। स्थानीय निवासी लंबे समय से इन बंकरों को हटाने की मांग कर रहे थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हंदवाड़ा मुख्य बाजार में दुकानों की छत पर निर्मित तीन बंकरों को स्थानीय निकाय अधिकारियों ने हटा दिया है। उन्होंने बताया कि मुख्य बाजार के मध्य में बनाए गए मुख्य बंकर को भी खाली करा लिया गया है और उसे स्थानीय निकाय अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया है।
अधिकारी ने बताया कि यह बंकर भी तोड़ा जाएगा और आज दोपहर दो बजे तक काम पूरा हो जाएगा। स्थानीय निकाय अधिकारियों ने बंकर के परिसरों में एक तख्ता लगा दिया है जो इस बात का परिचायक है कि इस जगह को सार्वजनिक पार्क में बदला जाएगा। स्थानीय निवासी लंबे समय से इन बंकरों को हटाने की मांग कर रहे थे लेकिन सेना ने यह कहते हुए ऐस करने से मना कर दिया था कि यह सैनिकों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।