घोटाला विरासत की पोषक राजनीति
घोटाला विरासत की पोषक राजनीति
हरिओम जोशी
नीतीश कुमार ने अपने सुशासन बाबू होने की छवि को भी पलीता लगाने की ठान ली है तभी तो लालू व कांग्रेस के घोटालों की विरासत को जिन्दा रखने के लिये उनसे हाथ मिलाया है और घोटाला मुक्त भारत की जगह संघ मुक्त भारत का नारा उछाला है। मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत का मतलब घोटाला मुक्त भारत है उसके जवाब में लालू मुक्त बिहार की स्थापना उनका पहला कार्य था परंतु वे उस कार्य को करने की जगह लालू की गोद में बैठ गये और घोटालों की रंगोली सँजाने के लिये कांग्रेस के साथ भी गठबंधन कर लिया। अब प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब में मोदी की नकल करने चले हैं परंतु भूल गये कि नकल को भी अक्ल चाहिए। गुजरात के नक्शे कदम पर बिहार में नीतीश जी आपने शराबबंदी लागू कर दी है परंतु मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री होने की तरह अपराध मुक्त गुजरात समाज और राजनीति के अनुकरण में बिहार समाज और राजनीति को अपराध मुक्त तो करिये।
प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब आपका अवश्य ही निजी अधिकार है उसे जरूर पूरा करिये परंतु घोटाला विरासत की पोषक राजनीति के जरिये देश के लोकतंत्र से खिलवाड़ करने की छूट आपको हरगिज नहीं मिल सकती।संघ की पवित्र सेवा अपने देश में तो है ही उसका प्रचार-प्रसार विश्वव्यापी हो रहा है ऐसे में संघ मुक्त भारत का सपना पालना शेखचिल्ली का सपना ही सिद्ध हो सकता है। संघ की उदारमना हिन्दू संस्कृति की विचारधारा राष्ट्र का प्राणतत्व है इस संघ के तत्वज्ञान के बिना नीतीश कुमार आपका भी कोई अस्तित्व नहीं हो सकता शायद तुम्हारी आत्मा इस बात को अवश्य ही समझती होगी।
महात्मा गांधी,नेहरू, इन्दिरा, जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने जिस संघ की सेवामयी शक्ति को स्वीकारा हो भला उसके खिलाफ संघ मुक्त भारत के आपके ख्याल से आपका राजनीतिक और सामाजिक कद बेहद बौना ही सिद्ध होता है।आजादी के बाद सबसे ज्यादा सत्ता में रही कांग्रेस ने देश को घोटालों के दलदल में फंसा दिया है उस घोटालों के दलदल से देश को निकालने की जगह नीतीश जी आप देश को उसी दलदल में घसीटने की राजनीति कर रहे हैं जिसका कैसे समर्थन किया जा सकता है। कट्टरता, नक्सलवाद, आतंकवाद, अतिवाद, बेरोजगारी, गरीबी, कालाबाजारी, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के नाम पर भेदभाव भरा नजरिया इत्यादि समस्याओं से मुक्ति देश की आवश्यकता है इस आवश्यकता को पूरा करने की प्रथम शर्त भ्रष्टाचार या घोटालों का सख्त परहेज है परंतु आप इसी शर्त को नामंजूर कर संघ मुक्त भारत का बेतुका नारा लगा रहे हों तब कैसे देश का नेतृत्व करने के लिये प्रधानमंत्री पद की सफलता में पहुँच सकते हो।