चाहकर भी नहीं कर पा रहे गरीबों की मदद
एक साल से पार्षदों को नहीं मिली स्वेच्छा अनुदान राशि
ग्वालियर| शहर व ग्रामीण क्षेत्र के पार्षद चाहकर भी गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों, गरीबों और निर्धन वर्ग के बच्चों के विवाह के लिए मदद नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण पिछले एक साल से स्वेच्छा अनुदान राशि का नहीं मिलना है। विदित रहे कि इसके लिए पार्षदों को 75 हजार रुपए की राशि स्वेच्छा अनुदान राशि के रूप में आवंटित की जाती है।
मौलिक निधि से 75 हजार रुपए हुए थे स्वीकृत
यहां बता दें कि महापौर परिषद की बैठक में पार्षदों की स्वेच्छा अनुदान राशि के बारे में निर्णय लिया गया था। इसमें सभी पार्षदों को प्रत्येक साल 30 लाख रुपए की मौलिक निधि वार्ड में विकास कार्यों के लिए देना तय हुआ था। इसी मौलिक निधि से 75 हजार रुपए की राशि, जिसको स्वेच्छा अनुदान राशि का नाम दिया गया था। ये परिषद में भी पास हो गया था। इस राशि का उद्देश्य वार्ड के ऐसे लोगों की मदद करना था, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। जैसे गरीब परिवार की कन्या के विवाह में मदद, इलाज के लिए सहायता या फिर किसी गरीब विद्यार्थी को शिक्षा जारी रखने के लिए आर्थिक मदद देना था।
एक साल से पास नहीं हुईं फाइलें
वार्ड आठ की भाजपा पार्षद सीमा धर्मवीर राठौड़ का कहना है कि एक साल होने जा रहा है। मेरे 15 आवेदनों की फाइलें लेखाधिकारी के पास लम्बित हैं, लेकिन पास नहीं हो रही हैं। कई बार निगम आयुक्त को भी अवगत कराया है, पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हम वार्ड के लोगों को जबाव नहीं दे पा रहे हैं। इसी तरह वार्ड 17 की पार्षद अनीता जगराम सिंह ने बताया कि हम परेशान हो चुके हैं। जिन लोगों ने हमें जिताकर पार्षद बनाया है। हम उन्हीं की मदद नहीं कर पा रहे हैं। उनकी बातें भी हमें सुननी पड़ती हैंं। कई आवेदन लम्बित हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
ऐसेे स्वीकृत होती है अनुदान राशि
आर्थिक मदद के लिए पार्षद के पास वार्ड का कोई भी व्यक्ति अपना आवेदन लेकर आता है तो पार्षद अपने लेटर पेड पर आवेदन बनाकर महापौर के पास भेज देते हैं। यहां से आवेदन स्वीकृत होकर जनकल्याण विभाग में जाता है। यहां से फाइल बनकर आयुक्त के पास जाती है। इसके बाद फाइल लेखाधिकारी के पास पहुंचती है।
इनका कहना है
''स्वेच्छा अनुदान राशि देने के एक दर्जन से ज्यादा आवेदन लेखाधिकारी के पास लम्बित हैं। कोई नहीं सुनता है। हम कैसे मदद करें।''
सीमा धर्मवीर राठौड़
पार्षद वार्ड आठ
''बीमारी के लिए जब अनुदान की फाइल लगाई जाती है, तो उत्तर आता है कि चिकित्सक के बिल लगाइए, तभी फाइल पास होगी। अब दो हजार की मदद के लिए भी बिल लगाना पड़ेंगे।''
अनीता जगराम सिंह
पार्षद वार्ड 17
''एक साल बाद भी स्वेच्छा अनुदान राशि की सहायता नहीं मिली है। लेखाधिकारी के पास चक्कर लगाकर परेशान हो चुके हैं। ऐसे अनुदान का क्या मतलब, जो समय पर न मिले।''
उपासना संजय सिंह यादव
पार्षद वार्ड 41