बीमार जयारोग्य की दवा क्या है? - प्रवीण दुबे
बीमार जयारोग्य की दवा क्या है?
प्रवीण दुबे
ग्वालियरवासियों का जीवन स्वस्थ्य और निरोगी बनाने की दिशा में एक बेहतर कार्य होने जा रहा है। यहां स्थापित गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का शिलान्यास करने देश के स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री एवं ग्वालियर के सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित अनेक जानी-मानी हस्तियां एकत्रित होने जा रही हैं। कहा जा रहा है सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बनने से मरीजों को उच्च स्तर की चिकित्सा सेवाएं ग्वालियर में ही प्राप्त होने लगेंगी।
इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कई दिनों से किया जा रहा है। नि:संदेह यह ग्वालियर के लिए गौरव का क्षण है और इसका श्रेय जहां केन्द्र और राज्य सरकार को दिया जाना चाहिए वहीं स्थानीय प्रयासों की भी उतनी ही प्रशंसा की जाना चाहिए। जहां तक ग्वालियर की स्वास्थ्य सेवाओं का सवाल है, इस शहर का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। देश को आजादी मिलने से पूर्व ही १९४५ में महाराजा जीवाजी राव सिंधिया और राजमाता विजयाराजे सिंधिया के प्रयासों से ग्वालियर में मेडीकल कॉलेज अस्तित्व में आया। इसी के साथ ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय समूह ने भी उच्चकोटि की स्वास्थ्य सेवाएं ग्वालियर वासियों को प्रदान करना शुरु कीं। शनै: शनै: केवल ग्वालियर ही नहीं पूरे उत्तर भारत में इस अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं ने अपना प्रमुख स्थान बना लिया।
मध्य प्रदेश के साथ पड़ौसी राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि से बड़ी संख्या में मरीज ग्वालियर आते रहे। देश के ख्याति प्राप्त फिजीशियन की बात हो तो ग्वालियर के डॉ. भगवत सहाय का नाम सहसा ही जुबान पर आ जाता है। पुराने लोग बताते हैं डॉ. भगवत सहाय जितने अपने चिकित्सा कार्य के लिए मशहूर थे उतने ही अस्पताल प्रबंधन के लिए भी जाने जाते थे। ऐसे महान व्यक्ति ने संभाली थी इस महान अस्पताल के प्रथम अधिष्ठाता और अधीक्षक की कमान। कहा जाता है जिस समय डॉ. भगवत सहाय अस्पताल के निरीक्षण पर रहते थे उन्हें तनिक भी गंदगी और लापरवाही पसंद नहीं थी। उनकी अंगुली दीवार पर पड़ी और यदि उसमें धूल आ गई तो समझो कार्रवाई निश्चित थी। इसी अस्पताल ने देश को डॉ. आर.एस. धारकर जैसा न्यूरोसर्जन दिया। ये वही धारकर थे जो मस्तिष्क में आई किसी भी चोट के लिए पूरी दुनिया में एक ख्यातिलब्ध चिकित्सक के रूप में पहचान रखते थे।
उनकी इसी प्रतिभा के कारण भारत सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया था। अकेले धारकर ही नहीं ग्वालियर के गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय और उससे संबंधित जयारोग्य चिकित्सालय देश का एकमात्र ऐसा मेडीकल कॉलेज है जहां से आठ प्रतिभाशाली चिकित्सकों को पद्म सम्मान देकर सम्मानित किया गया। ये चिकित्सक हैं डॉ. बी. एन. बी. राव, डॉ. एल. बी फाटक, डॉ. एम. जी. देव, डॉ. एम. एन. पासी, डॉ. पी. बी बक्षी, डॉ. ए. के. हैमल, डॉ. एल.सी. गुप्ता। इतने गौरवशाली इतिहास को अपने भीतर समेटे ग्वालियर का गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय और उससे संबंधित जयारोग्य चिकित्सालय समूह का वर्तमान बेहद डरावना सा लगता है। आज यह अस्पताल और मेडीकल कॉलेज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता सा नजर आता है।
बड़ा दुख होता है जब कोई मामूली रूप से बीमार व्यक्ति भी यह कहते सुना जाता है कि मुझे जयारोग्य में इलाज के लिए नहीं ले जाना। चौतरफा अव्यवस्थाओं का आलम न स्वास्थ्य सेवाएं ठीक हैं और न इन्हें संभालने वाला प्रबंधन कुशल नजर आता है।
सबकुछ भगवान भरोसे। जो अस्पताल कभी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पूरे देश में जाना जाता था आज उसकी चर्चा दान दी गई आंखों को कचरेदान में फेंके जाने को लेकर होती है। मानव रक्त की तस्करी के दाग भी इस अस्पताल के माथे पर लग चुके हैं। यहां इलाज कराने वाले मरीजों को चिकित्सकों द्वारा छोड़े गए दलालों द्वारा निजी चिकित्सालय में ले जाया जाता है ताकि उनसे जेब गर्म की जा सके। सरकार करोड़ों की चिकित्सा मशीनें यहां उपलब्ध कराती है लेकिन उन्हें इस कारण साजिशन खराब कर दिया जाता है क्योंकि चिकित्सकों के निजी चिकित्सालय फलते-फूलते रहें। सरकार दवाओं के लिए करोड़ों का बजट आवंटित करती है, लेकिन मरीजों को दवाएं नहीं मिलती। हालात इतने गम्भीर हैं कि सरकार जननी सुरक्षा की बात करती है लेकिन यहां आई गरीब प्रसूताओं से हजारों की दवाएं मंगाई जाती हैं, जिसमें ब्लेड, डेटॉल, कॉटन जैसी मामूली चीजें शामिल हैं। अफसोस इस बात का है। इनमें से अधिकांश चिकित्सा सामग्री पीछे के दरवाजे से व्यक्तिगत स्वार्थों की भेंट चढ़ जाती है। स्ट्रेचर, स्टैथस्कोप, थर्मामीटर, ई.सी.जी मशीनें और बी.पी. चैक करने वाले सामान्य उपकरणों को चिकित्सक जानबूझकर इस कारण खराब कर देते हैं ताकि मरीज परेशान हों और प्राइवेट तंत्र फलता-फूलता रहे। सवाल यह खड़ा होता है आखिर चिकित्सा सेवाओं में अग्रणी माना जाने वाला यह अस्पताल समूह और मेडीकल कॉलेज आज इस स्तर पर कैसे जा पंहुचा?
आखिर कौन है इसके लिए जिम्मेदार? पिछले दिनों जब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर ज्यादा हो-हल्ला मचा तो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जो कि सौभाग्य से इसी अंचल के हैं ने कह दिया सब ठीक है यहां पूरी दवाएं हैं। दो दिन बाद चिकित्सा सचिव प्रभांशु कमल आ पहुंचे, उन्होंने निरीक्षण किया तो ऐसी अव्यवस्थाएं सामने आ गई कि अस्पताल अधीक्षक और अधिष्ठाता की सार्वजनिक क्लास लगा दी, बात यहीं समाप्त नहीं होती एक दिन बाद अस्पताल अधीक्षक और अधिष्ठाता ने निरीक्षण की कमान संभाली और फिर कई नई बातें सामने आ गईं। समझ नहीं आता स्वास्थ्य मंत्री सही हैं या स्वास्थ्य सचिव अथवा अधिष्ठाता-अधीक्षक। कोई कहता है दवाएं हैं तो कोई कमी के लिए फटकार लगाता है। ऐसा लगता है जैसे एक दूसरे को गलत और सही साबित करने की कोशिश की जा रही है और अव्यवस्थाएं जस की तस हैं। इस पर पीठ पीछे कर्मचारियों का यह जुमला भी सुनाई देता है कि ऐसे निरीक्षण करने वाले तो तमाम आए और चले गए। संकेत साफ है कुछ भी करलो हम नहीं सुधरने वाले। बस यही मानसिकता ने आज गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय और उससे जुड़े जयारोग्य चिकित्सालय को इस बदनाम स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। बहुत अच्छी बात है आज इस अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का शिलान्यास होने जा रहा है। देश प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सहित मुख्यमंत्री आ रहे हैं। क्या इतने मात्र से सब कुछ ठीक हो जाएगा? यह यक्ष प्रश्न आज पूरे ग्वालियरवासियों को परेशान किए हुए है। शहर में जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं आखिर वो क्यों नहीं सुधर पा रहीं हैं? क्यों जयारोग्य में मरीज नहीं जाना चाहता ? जरूरत इस ओर ध्यान दिए जाने की है। एक समय जयारोग्य देश में बहुत बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाता था आज वह बदनाम हो चुका है, हम बहुत अच्छा सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक बना लें क्या गारंटी है कि वह ठीक काम करेगा? जरूरत मानसिकता बदलने की है। जब मरीजों के प्रति सेवा का भाव जागृत होगा तभी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनेंगी।
बहरहाल आज ग्वालियर को मिली एक सौगात के लिए केन्द्र, प्रदेश और स्थानीय प्रशासन बधाई का पात्र है। इस अपेक्षा के साथ कि सिर्फ नाम से ही सुपर नहीं आने वाले समय में जेएएच अपने पुराने वैभव को प्राप्त करेगा। स्वयं मुख्यमंत्री स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री बेहद संवेदनशील है अत: यह ग्वालियरवासियों को विश्वास है।