उप्र के कौशाम्बी में बेखौफ होता अमीर को गरीब बनाने का गोरख-धंधा
कौशाम्बी। मंझनपुर तहसील में आय, जाति व निवास का गोरखधंधा चल रहा है। यहां तीन दिन में व्यक्ति की आय बदल जाती है तो दस दिनों के अंदर ठिकाना बदलने की गारंटी सरकारी दस्तावेज के माध्यम से दे दिया जाता है। ऐसे ही कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिसे दलालों के माध्यम से पूरा कराया जाता है। जानकारी होने पर प्रशासन ने सख्ती अपनाते हुए जांच के लिए टीम गठित कर जांच शुरु कर दी है। इससे जिम्मेदारों में खलबली मची है।
तहसील में आय, जाति व निवासी बनाने को लेकर हजारों की संख्या में आवेदन आते हैं। आवेदन करने वालों को चंद रुपये में मनमाफिक आय व निवासी प्रमाणपत्र मिल जाता है। इसकी गारंटी तहसील में इस काम में लगे जिम्मेदार कर्मचारियों द्वारा दलालों के माध्यम से बाकायदा इसका ठेका लेते हैं। एक व्यक्ति ने गुमनाम पत्र भेजकर इसका खुलासा किया। जब इस मामले की पड़ताल की तो कई उदाहरण सामने आए। इसकी नेट में भी इनकी फीडिंग हो चुकी है। जानकारी के बाद तहसील कर्मियों में खलबली मची है। जिम्मेदार एक दूसरे पर इसका आरोप लगाते हुए अपनी गर्दन बचाने में लगे हैं।
मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम संदीप कुमार गुप्ता ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने मिले प्रमाणपत्रों से संबंधित दस्तावेज मांगा है, जिसे खोजने में कर्मचारी हलकान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक साकिंग न्यूज है, इसकी जांच की जाएगी। जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
बंद कर दिया काउंटर
एसडीएम के द्वारा फर्जी तरीके से जारी किए गए आय व निवासी प्रमाणपत्रों की जांच किए जाने की जानकारी जैसे ही उनके विभागीय कर्मचारियों को हुई तो वहां तैनात एक लिपिक घबड़ा गया। आनन-फानन में वह कार्यालय से बाहर निकाला। इसके बाद कुछ प्राइवेट कर्मचारी अपना काम बंद कर कही चले गए।
महत्वपूर्ण है दस्तावेज
किसी भी सरकारी कार्य के लिए तहसील प्रशासन द्वारा जारी किया गया निवासी व आय प्रमाणपत्र ही मान्य होता है। ऐसे में इस तरह से जारी किए गए दस्तावेजों की हकीकत सामने आने के बाद से ही तहसील में हड़कंप मचा हुआ है। विभागीय अधिकारी भी इस कार्य के पीछे किसका हाथ ही जानने के लिए जांच की बात कह रहे हैं।
बदल गया निवास
शरीफउद्दी पुत्र रहीमउद्दीन के नाम से दो निवास प्रमाणपत्र जारी किया गया है। पहला दो अगस्त 2016 को जारी किया गया है। इसमें इनका निवास हजरतगंज मंझनपुर दिखाया गया है। वहीं 11 अगस्त 2016 को इनके नाम से दूसरा निवास प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जो हजरतगंज करारी के नाम से बना है। नौ दिनों में ही उनका निवास मुख्यालय से करारी कर दिया गया। इसके पीछे क्या मंशा है यह जांच का विषय है।
तीन दिनों में महीने की कमाई हो गई आधी
मंझनपुर तहसील क्षेत्र के बेरौचा निवासी सुरेखा मिश्रा का 28 फरवरी 2015 को आय प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इनकी आय दस्तावेजों में पांच हजार प्रति माह दिखाई गई है। ठीक तीन दिन बाद इनके नाम से दूसरा आय प्रमाणपत्र जारी हुआ। इसमें इनकी आय आधी यानी ढाई हजार रुपये हो जाती है। इसी प्रकार मंझनपुर तहसील के बेरौचा निवासी पद्मा मिश्रा पत्नी रविशंकर मिश्रा के नाम से 28 फरवरी 2015 को आय प्रमाणपत्र जारी किया गया था। उसमें उनकी आय 3000 रुपये मासिक दिखाया गया है। तीन दिन बाद इनके नाम से दूसरा आय प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसमें इनकी आय 2500 रुपये दिखाई गई है।
बदल दिया अधिकारी
निवास प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार उप जिलाधिकारी के पास है। तहसील में इसे जारी करने को लेकर भी खेल किया गया है। बरैसा निवासी वंदना पत्नी अमित कुमार के नाम से 24 अप्रैल 2015 को एक निवास प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसपर तहसीलदार के डिजिटल हस्ताक्षर हैं। वहीं दूसरी ओर आय प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार तहसीलदार को है। इसी दिन बाकरगंज निवासी हीरा सिंह की पुत्री प्रियंका का आय प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जिस पर उप जिलाधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर है।
जिला ई-डिस्ट्रिक मैनेजर कीर्ती कुमार ने बताया कि मामले की जानकारी अधिकारियों को दी गई है। इसके लिए अलग से टीम गठित कर जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।