घाटों की नक्काशी के मुरीद हुए विदेशी मेहमान
मथुरा। यमुना के प्राचीन घाटों की सुंदरता और कलात्मकता के साथ वास्तुकला अब विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यमुना किनारे बचे हुए प्राचीन घाटों की नक्काशी देखकर उनकी ओर खींचे चले जाने वाले विदेशी पर्यटक भारतीय वास्तुकला की बारीकियों को करीब से जानने के लिए लालायित होकर उन्हें अपने चित्रों में संजोकर रखने में जुटे हुए है।
ऐसा ही नजारा उस समय देखने को मिला जब विदेशी रसियन महिलाऐं कालीदह परिक्रमा मार्ग स्थित प्राचीन करौली घाट का चित्रण करती नजर आ रही आई। रूस की सासा और लीजा करौली घाट की सुंदरता से मोहित होकर उसे अपने चित्रों में संजोने का कार्य कर रही थी। सासा और लीजा कैनवास पर अपनी तूलिका से करौली घाट की प्राचीन नक्काशी और समाहित भारतीय कला की विशेषताओं को उकेर रही थी।
उन्होंने बताया कि वृंदावन के यमुना तट पर बने प्राचीन घाटों में जो कलाकृतियां और नक्काशी है। वह अन्य कहीं देखने को नहीं मिलती है। भारतीय पच्चकारी को पत्थर पर उकेरना अपने आप में एक कला है। यह कला विश्व में अपना विशेष स्थान रखती है और भारत में तो यह सदियों पुरानी कला है। इसकी गहराई में जितना उतरो उतना ही गहराई और नजर आती है।