जम्मू में पीडीपी पार्टी को लगा बड़ा झटका
जम्मू। राज्य में सत्ताधारी गठबंधन सरकार के प्रमुख घटक दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को रविवार को उस समय एक गहरा झटका लगा जब पार्टी के एमएलसी और राज घराने से संबंधित युवराज विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी और एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया।
जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए युवराज विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी को छोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से वह लगातार पार्टी नेतृत्व के समक्ष जम्मू के मुद्दों को उठाते आ रहे थे लेकिन पार्टी नेतृत्व इन मुद्दों की ओर कोई खास ध्यान नहीं दे रहा था। इन मुद्दों में राज्य में गैर कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्याओं के मुद्दे के अलावा डोगरा शासन की अवधि को स्कूली पाठयपुस्तकों में शामिल करने, महाराजा हरि की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने सहित जम्मू के हित के कई मुद्दे शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि पीडीपी ने जम्मू प्रांत के लोगों की भावनाओं से जुड़े इन मुद्दों को स्वीकारने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके लिए ऐसी पार्टी में बने रहना संभव नहीं जो जम्मू क्षेत्र के लोगों की मांगों और अरमानों का लगातार तिरस्कार कर रही हो। उन्होंने कहा कि पीडीपी के दिवंगत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की तीनों प्रांतों के बीच दूरियों को पाटने की परिकलपना भी अधूरी रही है।
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा उन्होंने डोगरा सार्टिफिकेट जारी करने के मुद्दे के साथ ही सीमांत लोगों को पांच-पांच मरले के पलाट सुरक्षित स्थानों पर मुहैया कराने और जम्मू से जुड़े कई मुद्दों को सदन के अन्दर और बाहर उठाया है लेकिन पीडीपी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला है। विक्रमादित्य ने कहा कि ऐसे में उन्होंने महसूस किया कि नैतिक और वैचारित दृष्टि से उनका पीडीपी के साथ बने रहना उचित नहीं होगा| इसलिए उन्होंने पार्टी और एमएलसी के पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।
एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि राज्य के दो झंडे कोई मायने नहीं रखते हैं क्योंकि इससे आम आदमी खुश नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उनकी खुशी के लिए क्षेत्रीय पहचान को कायम रखना जरूरी है लेकिन आज कोई भी खुश नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीडीपी के अन्दर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भावी रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करेंगे और उनके बाद ही कोई अगला कदम उठायेंगे।
सनद रहे कि युवराज बिक्रमादित्य सिंह ने सिंधिया घराने में शादी की है और कुछ महीने पहले ही युवराज विक्रमादित्य की बेटी की शादी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्द्र सिंह के बेटे के साथ हुई थी।