मनी लाउंड्रिंग मामले में शब्बीर शाह और असलम वानी के खिलाफ हुए आरोप तय

मनी लाउंड्रिंग मामले में शब्बीर शाह और असलम वानी के खिलाफ हुए आरोप तय
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नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के मामले में जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और असलम वानी के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं।

पिछले 27 सितंबर को एडिशनल सेशन जज सिद्धार्थ शर्मा ने ईडी द्वारा दाखिल आरोप पत्र की प्रति शब्बीर शाह और असलम वानी को दी थी। पिछले 23 सितंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) ने कोर्ट में शब्बीर शाह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा था कि शब्बीर शाह ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से अपने संबंध को स्वीकार किया है। इसी साल जनवरी में उसने आतंकी सरगना हाफिज सईद से बात भी की थी। वो हाफिज से कश्मीर के मसले पर बात करता रहा है।

आरोपपत्र के मुताबिक शब्बीर शाह की पत्नी डॉ. बिलकिस भी हवाला चैनल के जरिये टेरर फंडिंग की रकम वसूलती थी । ईडी के मुताबिक शब्बीर शाह ने कहा कि वो इनकम टैक्स रिटर्न इसलिए नहीं दाखिल करता था क्योंकि उसके पास अपना आय का कोई जरिया नहीं था। वो स्थानीय लोगों से कैश रकम चंदे के रुप में लेता था। इन पैसों का वह कोई रसीद नहीं देता था। उसे हर साल करीब आठ से दस लाख रुपये चंदा मिल जाता था। शब्बीर शाह की पार्टी जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी की वेबसाइट का आईपी एड्रेस पाकिस्तान के पेशावर में मिला है। पार्टी का सूचना केंद्र रावलपिंडी में है जबकि पार्टी का मुख्यालय शब्बीर शाह के श्रीनगर स्थित घर में है।

असलम वानी ने ईडी को बताया है कि वो शब्बीर शाह की तरफ से दिल्ली में हवाला के जरिये फंड इकट्ठा करता है। उसे दिल्ली में पाक हवाला कारोबारी शफीक शायर से दिल्ली में रकम मिलती थी। शब्बीर शाह ने कोर्ट में अर्जी देकर कहा था कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है और उनकी जान को खतरा है। उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत आरोप लगाये जा रहे हैं। इस पर ईडी ने कहा था कि शाह जैसे लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं। क्या शाह भारत माता की जय बोल सकते हैं । इस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि कोर्ट को टीवी स्टूडियो में तब्दील नहीं किया जाए।

पिछले दो जुलाई को कोर्ट ने शब्बीर शाह खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। शब्बीर शाह के खिलाफ टेरर फंडिंग के लिए मनी लाउंड्रिंग का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय की अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायालय सिद्धार्थ शर्मा ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। विशेष लोक अभियोजक एनके माटा ने कोर्ट को बताया था कि ये मामला 2005 का है जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद असलम वानी नामक एक हवाला कारोबारी को गिरफ्तार किया था। वानी के पास से 63 लाख रुपये और बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए थे । इन पैसों में से उसे पचास लाख रुपये शबीर शाह को पहुंचाने थे जबकि दस लाख रुपये जैश-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर अबु बकर को देने थे और बाकी पैसे उसकी कमीशन के थे। वानी ने पुलिस को बताया था कि उसने सवा दो करोड़ रुपये शब्बीर शाह को पहुंचाए थे। जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने वानी और शब्बीर शाह के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया था।

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