पैसों के लालच में बिना स्वीकृति के किराए पर उठा दिया हॉल

पैसों के लालच में बिना स्वीकृति के किराए पर उठा दिया हॉल

मामला मेला प्राधिकरण का



ग्वालियर, न.सं.। ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण का एक नया मामला प्रकाश में आया है। ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा पैसों के लालच में प्राधिकरण कार्यालय के ऊपर बने नवनिर्मित हॉल और कमरों को बिना बोर्ड की स्वीकृति के भारत सरकार के कस्टम्स सेन्ट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स, आॅडिट सर्कल छह को एक लाख 41 हजार रुपए प्रतिमाह के किराए पर दे दिया है। विभाग से यह अनुबंध तीन वर्ष के लिए किया गया है। इस नवनिर्मित भवन को किराए पर देने से यहां होने वाली महत्वपूर्ण बैंठकें, कार्यक्रम और अतिथियों को ठहरने के लिए कोई अच्छी जगह बची नहीं हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि मेला प्राधिकरण द्वारा बिना बोर्ड की परमीशन के किसी भी संपत्ति को किराए पर नहीं दिया जा सकता है। इसके लिए उद्योग मंत्री, संभागआयुक्त, जिलाधीश, निगमायुक्त, महापौर, विधायक एवं पार्षद आदि की एक विधिवत बैठक बुलाकर इनसे अनुमति लेना आवश्यक होता है। इसके उपरांत ही भवन आदि को किराए पर दिया जा सकता है।

कहां होंगी बैठकें और कार्यक्रम

उल्लेखनीय है कि ग्वालियर व्यापार मेला के पूर्व अध्यक्ष अनुराग बंसल के समय इस नवनिर्मित हॉल और कमरों को बनाने की नींव रखी गई थी। पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान भवन की छत डलने का कार्य पूरा हो चुका था। पूर्व अध्यक्ष का मानना था कि मेला प्राधिकरण में एक स्थान ऐसा भी होना चाहिए जहां महत्वपूर्ण बैठकें कराईं जा सकें। इसी के साथ ग्वालियर व्यापार मेला के दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आने वाली सेलीब्रिटी को ठहराया जा सके, लेकिन प्राधिकरण द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखते हुए इस स्थान को किराए पर दे दिया है। अब इस स्थान पर विगत कुछ माह से भारत सरकार के कस्टम्स सेन्ट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स, आॅडिट सर्कल छह द्वारा विभागीय कार्य किया जा रहा है।

सब कुछ मन मर्जी से हो रहा है

वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि ग्वालियर व्यापार मेला में जबरदस्त राजनीति के चलते अभी तक अध्यक्ष व मुख्य बॉडी की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जानकारों का कहना है कि वर्षों से अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी हुई है। मेले में मुख्य व्यक्ति नहीं होने के कारण हर कोई अपनी मन मर्जी चला रहा है। ऐसे में आगे मेले का क्या होगा पता नहीं। हो सकता है कि मेले की अन्य जगहों को भी किराए पर उठा दिया जाए जिससे मेला लगाने तक में परेशानी आने लगे।

ऐसे दी जगह किराए पर

भारत सरकार के कस्टम्स सेन्ट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स, आॅडिट सर्कल छह के द्वारा कुछ समय पहले एक विज्ञापन निकाला गया था जिसमें विभाग के कार्य हेतु एक स्थान को किराए पर मांगा गया था। जब यह जानकारी मेला प्राधिकरण को लगी तो उन्होंने यहां का स्थान किराए पर देने के लिए अपना आवेदन लगा दिया जो स्वीकृत हो गया। इसके बाद यह स्थान किराए पर दे दिया गया है।

इनका कहना है

‘मेरे कार्यकाल में इस स्थान का निर्माण छोटे-छोटे कार्यक्रमों, बैठकों और अतिथियों को रहने के लिए किया गया था। इन सभी बातों को ताक पर रखते हुए मेला प्राधिकरण द्वारा इतने बड़े स्थान को बिना किसी की परमीशन लिए किराए पर उठा दिया है। अगर ऐसा ही रहा तो प्राधिकरण मेले की महत्वपूर्ण जगहों को भी किराए पर ही उठा देगा जिससे वर्ष में एक बार लगने वाले मेले को लगाने के लिए भी सोचना पड़ेगा। कोई भी प्रस्ताव लाने से पहले बोर्ड की बैठक में परमीशन लेना आवश्यक होता है। तभी किसी कार्य का क्रियान्वयन होता है।’

अनुराग बंसल

पूर्व मेला अध्यक्ष

‘मेले की आय को बढ़ाने के लिए हमने इस नवनिर्मित हॉल और कमरों को किराए पर दिया है। इससे प्राधिकरण को प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख रुपए की अतिरिक्त आय होगी। रही बात बैठकों की तो उसके लिए हमारे पास जगह है और आने वाले अतिथि होटलों में रहना अधिक पसंद करते हैं। हमने इस भवन को किराए पर देने के लिए मेला अध्यक्ष एस.एन. रूपला से चर्चा की थी, जिन्होंने इसे किराए पर उठाने के लिए स्वीकृति दे दी थी। मगर इस मामले को हम मुख्य बॉडी में नहीं ले गए थे। हमारा मुख्य उद्देश्य प्राधिकरण की आय को बढ़ाना है। ’

शैलेन्द्र मिश्रा, सचिव,

ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण

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