जयारोग्य में संवेदनाओं की मौत
विशेषज्ञ की छुट्टी पूरी होने पर होगा शव विच्छेदन, शव में दौड़ी सड़ांध
गरीब किसान का शव भाण्डेर, दतिया और ग्वालियर के बीच झूला
सुजान सिंह बैस/ग्वालियर। ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन की संवेदनाओं की मौत शुक्रवार 23 जून की रात नौ बजे हो गई। मृत संवेदनाएं शव विच्छेदन गृह के फ्रिजर में पड़ी सड़ रही हैं। जयारोग्य अस्पताल को उस विशेषज्ञ चिकित्सक का इंतजार है, जो मंगलवार 27 जून तक अपनी छुट्टियां पूरी करके वापस आएगा। उस 70 वर्षीय मां गुंजन के हृदय की वेदना को न तो शब्दों में बयां किया जा सकता और न ही कागजों पर उकेर पाना संभव है, जिसके इकलौते बेटे नंदू की हत्या के बाद तीन दिन से वह बेटे के शव को निहारने के लिए वाट जोह रही है। इतना ही नहीं, मजदूरी और खेती-किसानी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले पति 44 वर्षीय नंदू के शव के इंतजार में निगाह गड़ाए बैठी उसकी 40 वर्षीय पत्नी त्रिवेणी की आंखें भी पथरा चुकी हैं। मासूम बच्चे प्रियांशु व अंकित, जिनके सिर से पिता का साया उठ चुका है, उनको तो यह भी नहीं पता है कि उनका पिता आखिर कहां चला गया। इस रोते-बिलखते परिवार पर टूटे दु:खों के पहाड़ की जानकारी होते हुए भी जयारोग्य प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मरने वाला नंदू यादव तो गरीब, मजदूर और किसान था। अगर किसी विधायक, सांसद, नेता या अधिकारी का रिश्तेदार होता तो जरूर अस्पताल प्रबंधन दुम दबाकर आगे-पीछे घूमता और छुट्टी पर गए विशेषज्ञ चिकित्सक को अनिवार्य रूप से ड्यूटी पर बुला लिया जाता। ऐसा संभव न होने की स्थिति में अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक की व्यवस्था भी कर ली जाती और खडेÞ-खड़े शव विच्छेदन कराया जाता।
अस्पताल में लगातार हो रहीं इस प्रकार की घटनाओं को देखकर ऐसा लगने लगा है कि अस्पताल प्रबंधन की संवेदनाएं सिर्फ पहुंच और पावर वालों के आगे ही जागती हैं। नंदू जैसे गरीबों के शव तो हर दिन आते हैं। इन गरीबों के परिजनों को धूप, छांव, सर्दी, गर्मी हर मौसम में दुखों के बीच जीने की आदत जो हो चुकी है।
यह है पूरा मामला
भाण्डेर निवासी नंदू यादव विगत दिवस संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गया था। पुलिस ने विगत 23 जून को नंदू का शव भाण्डेर में ही एक पेट्रोल पंप के पास स्थित खेत से बरामद किया था। शव के पोस्टमार्टम के लिए पुलिस पहले भाण्डेर, फिर दतिया और 23 जून की रात को ग्वालियर लेकर पहुंची, जहां चिकित्सकों ने कहा था कि विशेषज्ञ चिकित्सक छुट्टी पर गए हुए हैं और शव बुरी तरह डी कम्पोस हो चुका है, इसलिए शव को भोपाल ले जाएं। इसके बाद भाण्डेर थाना प्रभारी आरबीएस विमल ने अस्पताल प्रबंधन से बात की, जिस पर चिकित्सकों ने मंगलवार तक शव का पोस्टमार्टम कराने की बात कहते हुए शव को फ्रीजर में रखवा दिया।