चैक पोस्ट बंद होने से गला फाड़ फाड़ कर रोये परिवहन कर्मी
ग्वालियर/स्वदेश डिजिटल। राज्य शासन द्वारा परिवहन चैक पोस्ट बंद करने की घोषणा के बाद प्रदेश के कई बैरियरों पर करूण क्रंदन देखने को मिला। मुरैना चैक पोस्ट पर तो यह हालत थी कि परिवहन विभाग के कर्मचारी गला फाड़-फाड़ कर रो रहे थे। परिवहन चैक पोस्ट समाप्त करने के बाद जैसे ही मुरैना बैरियर पर मुख्यालय में आमद दर्ज कराने की खबर पहुंची वैसे ही सभी कर्मचारी एक-दूसरे के गले मिल कर बुरी तरह रोने लगे। एक प्रधान आरक्षक तो रोते-रोते यहां तक कह गए कि एक माह पूर्व मां के निधन का भी इतना दुख नहीं हुआ जितना कि चैक पोस्ट के बंद होने पर हो रहा है। गमगीन माहौल में जब सभी गला फाड़े जा रहे थे तो चैक पोस्ट प्रभारी की भी आंखों में आंसू आ गए।रोने-धोने का विभागीय क्रम चल ही रहा था कि तभी चैक पोस्ट पर प्रायवेट रूप से रहने वाले कटर भी वहां पहुंच गए और कटरों से गले मिल कर जब परिवहन कर्मी रोने लगे तो प्रायवेट कटर बोले कि साहब आप क्यों रो रहे हैं आपको तो वेतन भी मिलेगा हम क्या करें। सालों से परिवार इसी पर पल रहा था। अब तो बच्चों को पढ़ाने व घर चलाने की भी समस्या खड़ी हो गई है। प्रायवेट कटरों का दर्द सुनकर परिवहन कर्मी चुप हुए। कमोबेश यही हालत प्रदेश के उन बैरियरों की भी सुनने को मिली है जो बंद हुए हैं।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश के परिवहन चैक पोस्ट पर तैनात स्टाफ बिना तिलक का राजा माना जाता था। चैक पोस्ट प्रभारी आरटीआई के तो कहने ही क्या? जब आरक्षक, प्रधान आरक्षक, एएसआई और टीएसआई हवाई जहाज में उड़ते थे। इनके रहने के तरीके और बात करने के लहजे तक बदल चुके थे। राज्य शासन के एक आदेश ने इन सबका चैन छीन लिया। विभाग के एक परिवहन निरीक्षक का कहना था कि जब चैक पोस्ट बंद ही करना थे तो विभाग में भर्ती क्यों की गई? नए आरक्षक तो अभी पूरी तरह विभाग का मजा भी नहीं लूट पाए थे कि उनके ऊपर वज्रपात हो गया। सोने की चिड़िया माने जाने वाले इस विभाग में अभी मातम जैसा माहौल बना हुआ है। अब समस्या यह है कि बैरियर पर जो एसी लगे थे, टेलीविजन लगे थे और अन्य सामान था वह किसके पास रहे।