मप्र की 'नूरजहां' पर खतरा बन रहा है जलवायु परिवर्तन

मप्र की नूरजहां पर खतरा बन रहा है जलवायु परिवर्तन
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इंदौर। मध्यप्रदेश के आमों की एक खास किस्म नूरजहां पर जलवायु परिवर्तन खतरा बनकर मंडरा रहा है। बदली आबो हवा के कारण यह किस्म अब खामियों से घिरी नजर आ रही है। अफगान मूल की मानी जाने वाली इस आम प्रजाति 'नूरजहां' के पेड़ मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कटठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाए जाते हैं।

देरी से आ रहे हैं बौर

इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कटठीवाड़ा में इस प्रजाति की खेती के विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान मॉनसूनी बारिश में देरी, अल्पवर्षा, अतिवर्षा और अन्य मौसमी उतार-चढ़ावों के कारण नूरजहां के पेड़ों पर देरी से बौर (आम के फूल) आ रहे हैं, साथ ही, इसके फलों का वजन भी पहले के मुकाबले घट गया है। किसी जमाने में नूरजहां के फलों का वजन 3.5 से 3.75 किलोग्राम के बीच होता था, लेकिन अब यह वजन घटकर 2.5 किलोग्राम के आस-पास ही रह गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नूरजहां के पेड़ों पर जनवरी माह से ही बौर आना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद जून तक फल पक कर तैयार हो जाते हैं। लेकिन इस साल नूरजहां के पेड़ों पर अब तक बौर नहीं आए हैं। उनका मानना है कि पिछले मानसून सत्र में इलाके में कम बारिश हुई, जिसके कारण भूमिगत जल का स्तर नीचे ही रहा। हालांकि अभी गिने-चुने बौर नजर आ रहे हैं, ऐसे में उम्मीद है कि एक माह देरी से सही लेकिन फरवरी के अंत तक इन पेड़ों में बौर फूट पड़ेंगे।

एक फल 500 रुपए का, पहले से ही हो जाती है बुकिंग

एक्सपर्ट कहते हैं कि नूरजहां आम सीमित संख्या में ही होते हैं। लेकिन इनके शौकीन पहले से ही इनकी बुकिंग कर देते हैं। जब इसकी मांग बढ़ती है, तो इस एक आम की कीमत 500 रुपए तक पहुंच जाती है।

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