उत्खनित अवैध फर्शी पत्थर का मामला: शासन के नियमों का उल्लंघन कर रहा है वन विभाग
जब्त पत्थरों को नष्ट करना कहां तक न्यायोचित!
ग्वालियर, न.सं.। किसी भी प्रकार की शासकीय सम्पत्ति को क्षति पहुंचाना अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन वन विभाग यह अपराध आए दिन कर रहा है। वन विभाग के इस अपराध से जंगलों को तो क्षति पहुंच ही रही है, साथ ही शासन को भी हर साल करोड़ों का नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जाने-अनजाने में परंपरागत रूप से किए जा रहे इस अपराध की ओर न तो ग्वालियर वन मंडल से लेकर भोपाल मुख्यालय तक बैठे अधिकारियों ने ध्यान दिया है और न ही शासन व प्रशासन के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत समझी है।
हम यहां वन मंडल ग्वालियर के आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों से खनन माफिया द्वारा चोरी छिपे उत्खनित किए जाने वाले फर्शी पत्थर की बात कर रहे हैं, जिसे वन विभाग का अमला जब्ती में लेने के बाद मौके पर ही तोड़-फोड़कर नष्ट कर देता है। जानकारों की मानें तो वन क्षेत्रों से अवैध रूप से उत्खनित फर्शी पत्थर भी शासकीय सम्पत्ति की श्रेणी में आता है और इसे तोड़-फोड़कर नष्ट करना भी एक अपराध है और यह शासन के नियमों का उल्लंघन भी है। चूंकि वन विभाग जंगलों से चोरी छिपे काटी जाने वाली लकड़ी हो या अन्य कोई वन उपज हो, उसे वह जब्ती में लेने के बाद नष्ट नहीं करता है, बल्कि उसे नीलाम करके राजस्व प्राप्त करता है। इसी प्रकार वन विभाग हर साल जंगलों से तेंदू पत्ता तोड़ने के लिए भी ठेका देकर राजस्व प्राप्त करता है, जबकि तेंदू पत्ता से बीड़ी का निर्माण होता है और बीड़ी पीने से व्यक्ति को कैंसर होने का खतरा रहता है। इसी प्रकार लकड़ी जलाने से प्रदूषण फैलता है। बावजूद इसके वन विभाग तेंदू पत्ता और लकड़ी की नीलामी करता है, लेकिन फर्शी पत्थर से ऐसा कोई खतरा नहीं है, बल्कि इसे नीलाम करने से वन विभाग को राजस्व ही प्राप्त होगा, जिसके उपयोग से अवैध उत्खनन और अवैध कटाई से नष्ट हो चुके वन क्षेत्रों का विकास किया जा सकता है। बावजूद इसके वन विभाग परंपरागत रूप से पिछले कई सालों से जब्त अवैध फर्शी पत्थर को नष्ट करता आ रहा है। ग्वालियर स्टोन पार्क एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शुक्ला ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगकर इस मुद्दे को उठाया तो वन विभाग को जवाब देते नहीं बना। इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री हैल्पलाइन के माध्यम से उठाया तो वन विभाग ने अलग-अलग जवाब दिए।
जिम्मेदारी से भाग रहे हैं अधिकारी: शुक्ला
ग्वालियर स्टोन पार्क एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शुक्ला का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं, साथ ही उनमें इच्छा शक्ति की भी कमी है। उनका कहना है कि यह बात समझ से परे है कि जिन वन क्षेत्रों से खनन माफिया फर्शी पत्थर को अपने वाहनों में भरकर आसानी से ले जाते हैं, वहां वन विभाग के वाहन क्यों नहीं पहुंच पाते हैं? श्री शुक्ला का कहना है कि हमारी एक ही मांग है कि वन विभाग वन क्षेत्रों से जब्त किए जाने वाले कीमती फर्शी पत्थर को नष्ट करने की वजाय उसे नीलाम करे, जिससे वन विभाग को राजस्व और जरूरतमंद लोगों को फर्शी पत्थर मिलेगा। इससे प्राप्त राजस्व से वन क्षेत्रों का विकास भी किया जा सकेगा।
पहला जवाब:- ग्वालियर वन मंडल ने शिकायतकर्ता श्री शुक्ला को 4 मई 2017 को यह जवाब दिया कि वन मंडल ग्वालियर के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्रों में यदा-कदा चोरी छिपे अवैध उत्खनन किया जाता है तो वन विभाग द्वारा वैधानिक कार्यवाही करते हुए मौके पर मिले अवैध उत्खनित फर्शी पत्थर को जब्त कर मौके की टोपीग्राफी के कारण उसे मौके से रैपिड कार्यवाही करते समय उठाकर परिवहन किया जाना संभव नहीं होता है। यदि उक्त पत्थर को मौके पर छोड़ा जाता है तो उत्खनन कर्ताओं एवं आसपास के ग्रामीणों द्वारा समूह में एकत्रित होकर बाहुवल/लायसेंस शुदा बंदूक के बल पर वन अमले पर हमला कर उक्त पत्थर को उठाने का भरपूर प्रयास किया जाता है। उपरोक्त कारणों से वन क्षेत्रों से अवैध उत्खनित पत्थर को मौके पर ही तोड़कर उत्खनित गड्ढे में पुन: भरवा दिया जाता है।
दूसरा जवाब:- ग्वालियर वन मंडल ने शिकायतकर्ता श्री शुक्ला को 12 अक्टूबर 2017 को यह जवाब दिया कि अवैध फर्शी पत्थर के उत्खनन से प्रभावित घाटीगांव अभयारण्य क्षेत्र एवं अन्य वन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों हेतु हैबीटेट में सुधार करने एवं वन क्षेत्रों को पुन: मूल रूप में लाने के उद्देश्य से कार्यवाही के दौरान पाए गए फर्शी पत्थर को तोड़कर उत्खनित गड्ढों में भर दिया जाता है। वन क्षेत्रों से पत्थर निकालना प्रतिबंधित है। इसके अतिरिक्त यहां यह भी उल्लेखनीय है कि घाटीगांव क्षेत्र में अराजक तत्वों द्वारा हथियारों के साथ वन अमले पर सामूहिक रूप से हमला कर अवैध उत्खनन को उठाने का प्रयास किया जाता है, जिसे ध्यान में रखकर मौके की स्थिति को देखते हुए फर्शी पत्थर को नष्ट कर दिया जाता है।
तीसरा जवाब:- ग्वालियर वन मंडल द्वारा शिकायतकर्ता श्री शुक्ला को 01 फरवरी 2018 को जो जवाब दिया गया, उसमें 12 अक्टूबर 2017 को दिया गया पूरा जवाब दोहराने के साथ अलग से यह बात भी जोड़ी गई है कि जहां तक जब्तशुदा पत्थर को उठाने हेतु वाहन पहुंचने की व्यवस्था होती है, वहां से पत्थर जब्त कर उठा लिया जाता है, लेकिन जहां पर वाहन नहीं पहुंचता है, वहां की स्थिति को देखते हुए वन अमले की सहायता से पत्थर को तोड़कर नष्ट कर उसे उत्खनित गड्ढों में भर दिया जाता है, लेकिन वन विभाग ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि अब तक कितना फर्शी पत्थर जब्त कर उठाया गया और कितना नीलाम किया गया?