चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे अशोक सिंह
विधानसभा नहीं लडूंगा
विशेष प्रतिनिधि/ग्वालियर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष अशोक सिंह की चौथीबार लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी है। श्री सिंह धैर्यवान और शांत मिजाज के माने जाते हैं, वे सबको (सिंधिया-दिग्गी) साधकर चलने वाले नेता हैं। तीन लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस में उनका कद बढ़ा है। प्रदेश कांग्रेस में कई निर्णय उनके कहने पर हो रहे हैं। यद्यपि वे विवादों से दूर है, क्योंकि वे कभी भाजपा नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत बयानबाजी नहीं करते। उनके बारे में कहा जाता है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के जितने करीबी है उतनी ही नजदीकी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी हैं। वहीं एक गुट के लोग उन्हें हरवाने के काम में लग जाते हैं फिर भी अपनी हार का मार्जन कम कर कद्दावर नेता बने हुए हैं। इसका लाभ यह है कि लोकसभा प्रत्याशी के लिए कांग्रेस के पास दूसरे किसी नेता का नाम नहीं है। श्री सिंह से इन्हीं मुद्दों पर स्वदेश ने विशेष चर्चा की है।
सवाल- कहा जा रहा है कि इस बार आप लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं?
जवाब- ऐसा नहीं है,मैं लोकसभा चुनाव ही लडूृंगा, फिर भी संगठन जो आदेश देगा उसका पालन करूंगा।
सवाल-तीन बार चुनाव हारने के क्या कारण रहे, क्या जनता आपको पसंद नहीं कर रही?
जवाब-नहीं, जनता का तो काफी सहयोग है, शासन-प्रशासन पर दबाव बनाकर भाजपा चुनाव जीत जाती है, पिछली बार करैरा में मतगणना में धांधली हुई थी और वही हार का कारण बनी।
सवाल-कहा जाता है कि आप जनता के बीच जाकर राजनीति नहीं करते, किसी मुद्दे पर आपका मुखर रूप सामने नहीं आता?
जवाब- पार्टी जो कार्यक्रम आंदोलन करती है उसमें हिस्सा लेता हूं। जहां तक मुखर होने की बात है तो मैं किसी पर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप के खिलाफ हूं। सामाजिक व राजनीति जीवन में व्यक्तिगत आरोप लगाना ठीक भी नहीं है।
सवाल- सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव के समय दूरी बना लेते हैं?
जवाब- यह बात सही नहीं है, उन्होंने मेरे प्रचार में करैरा, डबरा, पोहरी में जनसभाएं ली थीं।
सवाल- लोकसभा चुनाव में ग्वालियर के कांग्रेसियों की ड्यूटी गुना-शिवपुरी में लगा दी जाती है, जबकि उनकी जरूरत यहां ज्यादा है? जवाब-.........!
सवाल- केन्द्र और प्रदेश सरकार के कामकाज के बारे में कुछ कहना चाहेंगे?
जवाब- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हटने के समय प्रदेश पर मात्र 17 हजार करोड़ का कर्ज था, जो आज बढ़कर 1.37 हजार करोड़ पर जा पहुंचा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जनता और मीडिया का सामना करना चाहिए।
सवाल- भाजपा जीतती है तो ईव्हीएम पर दोषारोपण, लेकिन कांग्रेस के जीतने पर चुप्पी क्यों?
जवाब- यदि ईव्हीएम पर शंका है तो मतपत्र से ही चुनाव होना चाहिए, विदेश में मतपत्र से ही चुनाव हो रहे हैं। जनसंख्या दर से भी अधिक मतदाताओं का बढ़ना आश्चर्यजनक है। इसकी जांच होना चाहिए।
सवाल- राजा दिग्विजय सिंह नर्मदा की यात्रा के बाद क्या राजनीति में वापस आएंगे, कांग्रेस उन्हें मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार में लगाएगी?
जवाब- निश्चित ही वे अप्रैल माह से मध्यप्रदेश की राजनीति में वापसी करेंगे, प्रचार और मुख्यमंत्री के रूप में किसी के नाम का निर्णय हाईकमान तय करेगा।
सवाल- जिस तरह विधानसभा टिकट के दावेदार अपने क्षेत्र में आंदोलन करते हैं, लोकसभा प्रत्याशी होने के नाते आप ऐसा क्यों नहीं करते?
जवाब- हम भी शीघ्र ही ग्वालियर की समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन को नींद से जगाने का काम करेंगे।