मप्र चुनाव 2023 : जब तख्तमल जैन ने मंत्रिमंडल में आना स्वीकार नहीं किया

मप्र चुनाव 2023 : जब तख्तमल जैन ने मंत्रिमंडल में आना स्वीकार नहीं किया
X
35 रजवाड़ों से बना था विंध्यप्रदेश

आज की राजनीति में विधायक मंत्री बनने के लिए लोग आईएएस की सेवा छोडक़र आने के लिए तैयार रहते हैं और एक दौर मप्र की राजनीति में ऐसा भी था, जब लोग राजनीति के दायित्वबोध के चलते अपने परंपरागत व्यवसाय को नही छोडऩा चाहते थे। सन् 1950 में जब मध्यभारत बना, तब वहां के नरेश, जो कि राजप्रमुख कहलाते थे, उनको अपना मंत्रिमण्डल बनाते समय बड़ी समस्या हुई, क्योंकि समाज के ख्यातिप्राप्त लोग राजनीति में आकर विधायक नहीं बनना चाहते थे। ऐसा ही एक नाम था तखतमल जैन का, जो कि विदिशा के मशहूर वकील थे। वे बहुत मुश्किल औऱ मानमनोव्वल के बाद ही मध्यभारत के मंत्रिमण्डल में आने को राजी हुए थे और बाद में मध्यभारत के प्रधानमंत्री भी बने।

35 रजवाड़ों से बना था विंध्यप्रदेश

विंध्यप्रदेश आजादी के पहले बघेलखण्ड और बुन्देलखण्ड के रूप में देश में जाना जाता था। मूलत: 35 राजे-रजवाड़ों का एक समूह था पर आजादी के बाद जब सरदार पटेल ने नए देश का निर्माण शुरू किया, तो उन्होंने विंध्यप्रदेश का गठन किया। नये प्रदेश का उद्घाटन केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग मंत्री एन. वी. गाडगिल ने सन् 1948 में किया। यह राज्य शुरू से ही विवादों में रहा और सन् 1951 तक ये प्रदेश सीमा के विवादों के कारण केन्द्र के नियंत्रण में रखा गया। बाद में सन् 1951 के अंत में इसे विधिवत विधानसभा व मंत्रिमण्डल बनाने की इजाजत मिली। यह राज्य कुल पांच साल ही चल पाया और सन् 1956 में मध्यप्रदेश में मिला दिया गया।

Tags

Next Story