2018 में 39 प्रतिशत विधायक ही फिर से जीते थे, जानिए विधानसभा चुनाव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

2018 में 39 प्रतिशत विधायक ही फिर से जीते थे, जानिए विधानसभा चुनाव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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15 विधानसभा में कुल 56 विधायक ऐसे थे जो 2013 में भी जीते और 2018 में भी जीतकर आये

वेब डेस्क। मध्यप्रदेश की मौजूदा विधानसभा में 2018 के आमचुनाव में 61 प्रतिशत विधायक चुनाव हार गए थे। जाहिर है 230 विधायकों में से 2023 में आधे से अधिक विधायक फिर से चुनकर आ पायेंगे इसकी संभावना बहुत कम है क्योंकि 2013,2008,और 2003 के आंकड़े भी कमोबेश ऐसी ही तस्दीक कर रहे हैं। 2018 में 84 विधायक ऐसे थे जो पहली बार चुनकर सदन में आये थे।जबकि पुन: दूसरी बार जीतने वाले एमएलए की संया 89 थी।यानी नए चुनकर आये और फिर से निर्वाचित विधायकों का आंकड़ा लगभग बराबर सा ही था।इससे पहले 14 वी विधानसभा में पहली बार चुनकर आने वाले विधायकों की संया 86 थी। 2018 में पहली बार चुनकर आने वाले कांग्रेस विधायकों की संया 84 में से सर्वाधिक 55 थी वही सत्तारूढ़ भाजपा की यह संया 29 ही थी। बसपा के दोनों विधायक रमाबाई औऱ संजीव कुशवाहा पहली बार ही सदन में पहुँचे थे। बाद में भिंड से जीते संजीव कुशवाह भाजपा में शामिल हो गए। सपा और निर्दलीय मिलाकर 4 सदस्य भी पहली बार सदन पहुँचे थे।

दूसरी बार चुनकर आये 56 विधायक

15 विधानसभा में कुल 56 विधायक ऐसे थे जो 2013 में भी जीते और 2018 में भी जीतकर आये।इनमें से 28भाजपा और 28 ही कांग्रेस के थे।ज्योतिरादित्य सिंधिया के दलबदल के बाद यह आंकड़ा बदल गया लेकिन मूल विधानसभा में दूसरी बार जीते विधायकों की संया 56 ही थी।

तीसरी बार जीते 38 विधायक

मौजूदा विधानसभा में 38 विधायक ऐसे है जो लगातार तीसरी बार सदन में निर्वाचित होकर आए हैं।इनमें 23 विधायक भाजपा और 15 कांग्रेस के टिकट पर जीते हैं।

चौथी बार जीते कुल 20 विधायक

चौथी बार जीतकर सदन में आने वाले सदस्यों की संया महज 20 रही है जिनमें 12 सत्तारूढ़ भाजपा और 07 सदस्य कांग्रेस पार्टी के हैं।

पांचवीं बार जीते 14 विधायक

बार-बार विधायकी जीत कर सदन में आना बहुत ही कठिन होने के साथ-साथ कार्यशैली के महत्व को दर्शाती है। हालांकि ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है। सदन में 14 विधायक ऐसे भी है जो पांचवी बार जीतकर आये थे इनमें 07 कांग्रेस और 08 भाजपा के सदस्य हैं।

छठी बार जीते 7 विधायक

मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 2018 में हुए चुनाव के बाद अब मौजूदा सदन में केवल सात विधायक है जो छठवीं बार जीतकर आये है जिनमे 05 भाजपा और 02 कांग्रेस से हैं।गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा फिलहाल मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। नरोत्तम मिश्रा पहले डबरा औऱ अब दतिया से जीत रहे है इसी तरह वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा भी मल्हारगढ़ से जीतते रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर औऱ दतिया दो जिलों से जीतने वाले विधायक हैं। इनके अलावा भाजपा से ही पूर्व मंत्री पारस जैन उज्जैन उत्तर, रामपाल सिंह सिलवानी, गोपीलाल जाटव गुना,भी छठवीं बार जीते है ये तीनों भी पूर्व मंत्री हैं।कांग्रेस से केपी सिंह ककाजु पिछोर एवं आरिफ अकील भोपाल उत्तर भी पूर्व मंत्री रहे हैं।

सातवींं बार जीतने वाले केवल 04

इस विधानसभा में 04 विधायक ऐसे भी है जो रिकॉर्ड 7वी बार जीतकर अपनी लोकप्रियता को साबित कर चुके हैं। खासबात यह है कि इनमें से एक नेता प्रतिपक्ष के रूप में डॉ गोविंद सिंह है और दूसरे विजय शाह है जो हरसूद से सातवी बार जीते हैं। शेष दो विधायक हैं करणसिंह वर्मा इच्छावर एवं गौरीशंकर बिसेन बालाघाट।यह दोनों भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं लेकिन इस मंत्रिमंडल में दोनों शामिल नही हैं।

सबसे सीनियर विधायक हैं गोपाल भार्गव

मप्र के लोकनिर्माण मंत्री गोपाल भार्गव मप्र के ही नही देश के सर्वाधिक सीनियर विधायकों में एक है वह सागर जिले की रहली विधानसभा से लगातार सातवी बार जीतकर आये हैं।2003 से 2018 तक वे लगातार कैबिनेट मंत्री रहे है।इसके बाद 2018 से 2020 तक वे प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रहे और 2020 में पुन: शिवराजसिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।


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