राजस्थान में उपमुख्यमंत्री पद पर बवाल, हाईकोर्ट से नियुक्ति रद्द करने की मांग, जानिए क्या कहता है संविधान ?

राजस्थान में उपमुख्यमंत्री पद पर बवाल, हाईकोर्ट से नियुक्ति रद्द करने की मांग, जानिए क्या कहता है संविधान ?
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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में शनिवार को जनहित याचिका दायर कर प्रदेश के डिप्टी सीएम पद पर दिया कुमारी व प्रेम चन्द बैरवा की नियुक्ति व शपथ लेने को चुनौती दी गई है। जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी दिनों में सुनवाई करेगी। अधिवक्ता ओमप्रकाश सोलंकी ओर से दायर इस जनहित याचिका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डिप्टी सीएम दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को पक्षकार बनाया गया है।

जनहित याचिका में कहा गया कि भारतीय संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं है और ना ही इस पद पर नियुक्ति का ही कोई प्रावधान है। संविधान के आर्टिकल 163 व 164 के तहत सीएम की अनुशंसा पर ही गवर्नर मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करते हैं। इसके अलावा आर्टिकल 163 के तहत ही शपथ ली जाती है और उसमें गवर्नर मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों को शपथ दिलाते हैं। इसके बावजूद भी गत शुक्रवार को दिया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा ने खुद को डिप्टी सीएम बताते हुए शपथ ली है। जबकि संविधान में केवल मंत्री पद की शपथ ही ली जा सकती है। ऐसे में डिप्टी सीएम का पद ही काल्पनिक है और दोनों राजनेताओं की डिप्टी सीएम के तौर पर ली गई शपथ असंवैधानिक है। इसलिए प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम की शपथ व नियुक्तियों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द किया जाए।

संविधान में क्या है प्रावधान -

संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का कोई जिक्र नहीं है। संविधान में संवैधानिक तौर पर मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद का ही उल्लेख है। सरल शब्दों में कहा जाए तो भारतीय संविधान में उपमुख्यमंत्री जैसा कोई पद नहीं है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री पद पर हमेशा से प्रश्नचिन्ह लगते रहे है, इसके बावजूद राजनीतिक पार्टियां अपने जातीय समीकरणों को साधने के लिए इस पद को सृजित करती रहती, ताकि वह जनता को लुभा सकें.


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