11 दिन के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने शहीदों की विधवाओं से की मुलाकात, दिया आश्वासन
जयपुर।वीरांगनाओं के आंदोलन के बीच ही शनिवार को कुछ अन्य शहीदों की वीरांगनाओं ने सीएम अशोक गहलोत से सीएमआर में मुलाकात की। करीब आधा घंटे की मुलाकात के बाद ये वीरांगनाएं मीडिया से मुखातिब हुई।
उन्होंने बातचीत में कहा कि अनुकंपा नौकरी सिर्फ वीरांगनाओं या उनके बच्चों की ही दी जानी चाहिए। किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी नहीं दी जानी चाहिए। वीरांगनाओं ने ये भी कहा कि इस नौकरी पर सिर्फ पत्नी या बच्चों का ही हक हैं, ये किसी और को नहीं दिया जा सकता है। सीएम गहलोत ने भी मुलाकात के बाद ट़्वीट किया और लिखा कि वीरांगनाओं का अभिवादन-बलिदानियों को सादर नमन। निवास पर शहीदों की वीरांगनाओं ने अपनी भावनाएं व्यक्त कर प्रदेश सरकार की वर्तमान नीतियों को अपना समर्थन दिया। वीरांगना और उनके बच्चों के हक की नौकरी किसी अन्य को देना उचित नहीं है। प्रदेश सरकार शहीदों व परिवार के साथ सदैव खड़ी रहेगी।
समर्थन में आई भाजपा -
इन दिनों जयपुर में तीन वीरांगनाएं आंदोलनरत हैं और वे अपने देवर के लिए नौकरी मांग रही है, आज भाजपा ने भी इस मामले में प्रदर्शन किया था। जबकि, राज्य सरकार का कहना हैं कि शहीद की पत्नी या बच्चों को ही नौकरी दी जा सकती है। अन्य को नौकरी देना सरकार के नियमों में नहीं हैं। वहीं राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा भी इन वीरांगनाओं के साथ आंदोलनरत थे लेकिन कल उन्हें हिरासत में ले लिया। मीणा की इससे तबीयत खराब हो गई और उनका एसएमएस में इलाज चल रहा है।
11 दिन से आंदोलन -
बता दें कि 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के तीन जवानों की वीरांगनाएं बीते 28 फरवरी से आंदोलन कर रही है। उनकी मांग है कि नियमों में बदलाव कर उनके बच्चों की जगह उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाएं। उनकी अन्य मांगों में सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना भी शामिल है.