कोर्ट ने 8 साल पहले गिरफ्तार सिमी के 12 आतंकियों को दी आजीवन कारावास की सजा

कोर्ट ने 8 साल पहले गिरफ्तार सिमी के 12 आतंकियों को दी आजीवन कारावास की सजा
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जयपुर। महानगर के सत्र न्यायालय प्रथम ने जयपुर सहित अन्य स्थानों पर आतंकी हमले की साजिश से जुडे मामले में आतंकी संगठन इंडियन मुहाहिद्दीन के 12 आतंकी अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने सभी अभियुक्तों पर कुल 91 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा अदालत ने प्रकरण में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे मशरफ इकबाल को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है।

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि वर्ष 2013 में इंडियन मुजाहिद्दीन की ओर से स्लीपर सेल बनाकर प्रदेश के प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की पुख्ता जानकारी मिली थी। राजस्थान एटीएस के सूचना सत्यापन के बाद जयपुर के मोतीडूंगरी गणेश मंदिर, बिरला मंदिर, वल्र्ड ट्रेड पार्क और भरतपुर के गंगा मंदिर व लक्ष्मण मंदिर के साथ ही मुख्य बाजार में बम विस्फोट करने के तथ्य सामने आए। दिल्ली से गिरफ्तार हुए आंतकियों से मिले इनपुट के बाद राजस्थान एटीएस और एसओजी ने जयपुर, जोधपुर और सीकर सहित दूसरी अन्य जगहों से एक दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से बम बनाने का सामान भी बरामद हुआ था। प्रकरण को लेकर 28 मार्च 2014 को एटीएस ने एफआईआर दर्ज कर 17 सितंबर 2014 को 13 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था।

इन अभियुक्तों को सुनाई सजा -

मोहम्मद अम्मार यासर, मोहम्मद सज्जाद, मोहम्मद आकिब, मोहम्मद उमर, अब्दुल वाहिद गौरी, मोहम्मद वकार, अब्दुल माजिद, मोहम्मद मारूफ, वकार अजहर, बरकत अली, मोहम्मद साकिब अंसारी, अशरफ अली खान को सजा सुनाई गई है।

इन धाराओं में किया अपराध -

अदालत ने अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 में आजीवन कारावास की सजा देने के साथ ही आईपीसी की धारा 121ए, 122, 465, 468, 471 और 120बी के साथ ही विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 16, 17, 18, 18ए, 18बी, 19, 20 और 23 एवं विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5 और धारा 6 के तहत सजा सुनाई है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस माह में सुनानी थी सजा -

मामले से जुडे सरकारी वकील लियाकत खान ने बताया कि प्रकरण के निस्तारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देश जारी कर रखे थे। प्रकरण के आरोपी की ओर से मामले का जल्द निस्तारण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गत 26 मई को प्रकरण का जल्द निस्तारण करने को कहा था। जिसके चलते पिछले करीब ढाई माह से प्रकरण की नियमित सुनवाई की जा रही थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 178 गवाहों और पांच सौ से अधिक दस्तावेजों को अदालत में प्रदर्शित कराया गया।

इन आरोपियों के खिलाफ लंबित है मामला -

प्रकरण से जुडे छह अन्य आरोपी मोहम्मद मेहराजुद्दीन, तहसीन अख्तर, मोहम्मद अता, जियाउरर्रहमान, इकबाल भटकल व रियाज भटकल भी हैं। इसमें से जियाउरर्रमान दिल्ली की तिहाड जेल, इकबाल और रियाज भटकर पाकिस्तान में हैं जबकि शेष तीन फरार चल रहे हैं।

कोर्ट परिसर छावनी में तब्दील -

मंगलवार को अदालत परिसर खुलने के थोडी देर बाद ही अभियुक्तों का वाहन स्पेशल कमांडों की टीम की सुरक्षा के बीच कोर्ट में दाखिल हुआ। सुरक्षा की दृष्टि से अभियुक्तों को वाहन में ही रखा गया। वहीं पूरे अदालत परिसर में वर्दी और सादा ड्रेस में पुलिस बल तैनात हो गया। यहां तक कि अभियुक्तों के वाहन से मीडिया को भी काफी दूर रखा गया। सुनवाई के दौरान सदर पुलिस थानाधिकारी सहित अन्य आलाधिकारियों ने पीठासीन अधिकारी उमाशंकर व्यास के मौखिक आदेश का हवाला देकर कोर्ट कक्ष में भी मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। आखिर में पीठासीन अधिकारी ने मामला स्पष्ट करते हुए मीडिया को प्रवेश दिलवाया।

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