नक्सल अभियान से ज्यादा सड़क हादसों में गई जवानों की जान

Update: 2012-04-11 00:00 GMT


नई दिल्ली। देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में मोर्चा संभाल रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल [सीआरपीएफ] के लिए एक नई मुसीबत उभरकर सामने आई है। पिछले एक साल के भीतर सड़क हादसों में सीआरपीएफ के सौ से अधिक जवान मारे गए। ये मौतें तब हुईं जब जवान छुंट्टी पर थे। सड़क हादसों में जवानों की मौत का यह आंकड़ा पिछले साल नक्सल-विरोधी अभियानों के दौरान हुई 29 जवानों की मौत से काफी ज्यादा है।


इस पर चिंता जताते हुए सीआरपीएफ के महानिदेशक के विजय कुमार ने कहा, 'सड़क हादसों में जवानों की मौत खतरे का रूप धारण करता जा रहा है। पिछले साल सौ से ज्यादा हमारे जवान सड़क हादसे में मारे गए, जो चिंता का विषय है। एक-एक जवान की जिंदगी न केवल देश बल्कि उनके घर वालों के लिए भी कीमती है। इसलिए उन्हें [जवानों] दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। जवान अपनी सुरक्षा की खातिर ट्रैफिक नियमों का पालन करें।'

 

उन्होंने सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों और बल के फील्ड कमांडरों से ट्रैफिक नियमों को लेकर जवानों को जागरूक करने को कहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सड़क हादसों में जवानों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। जब जवान ड्यूटी पर होते हैं तो इस तरह की घटनाएं न हों इसको लेकर पूरी सतर्कता बरती जाती है।

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