रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना के तोपखाने की जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि एंटनी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि 100 फीसद जरूरतों के पूरा होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। यह भी गौर करने वाली बात है कि सारी फौज सीमा पर नहीं खड़ी है।
वायुसेना मुख्यालय में शीर्ष वायुसेना कमांडरों की बैठक को संबोधित करने पहुंचे एंटनी ने तोपखाने में गोला-बारूद की भारी कमी की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि यह सब अफवाहें हैं। मैं देश को भरोसा दिलाता हूं कि हम पूरी तरह तैयार हैं।
महत्वपूर्ण है कि सेनाध्यक्ष के साथ-साथ संसद की रक्षा मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति की बैठक में भी इस पर चिंताई जताई गई थी। समिति ने 20 अप्रैल को तीनों सेनाध्यक्षों को रक्षा तैयारियों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए बुलाया है।
पहले भी हुए खंडन
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख के बीच उठे विवाद में यह पहला मौका नहीं है कि जब रक्षा मंत्री एंटनी ने सेनाध्यक्ष की ओर से आए बयानों पर पानी डाला है।
जब उन्होंने रिटायर्ड सैन्य अधिकारी पर घटिया सामान की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का आरोप लगाया तो एंटनी ने संसद में सफाई देते हुए कहा था कि सेनाध्यक्ष ने इसकी सूचना तो दी थी लेकिन मामले पर आगे कार्रवाई न करने पर जोर दिया था।
इसके अलावा जब सेनाध्यक्ष की ओर से एक लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग के विरुद्ध सीबीआइ जांच की सिफारिश सामने आई थी तो एंटनी ने यह बताने में देर नहीं लगाई कि सेना प्रमुख ने ही उक्त अधिकारी की पदोन्नति की अनुशंसा की थी।