गिलानी ने चीन के बाओ में आयोजित बाओ फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास पर आधारित क्षेत्रीय सद्भाव स्थापित नहीं कर पाए, तो हमें डर है कि हम अतीत में उलझे रह जाएंगे। हम इस अतीत को तोड़कर बाहर आ सकते हैं।
गिलानी ने अन्य देशों के साथ आर्थिक रिश्तों को गहरा बनाने के लिए की गई पहलों का जिक्र किया और इस क्रम में चीन के साथ टैरिफ उदारीकरण, अफगानिस्तान के साथ नया पारगमन व्यापार समझौता, भारत के लिए एमएफएन, और गैस पाइपलाइन व संचार में क्षेत्रीय परियोजनाओं को गिनाया।
ज्ञात हो कि पहली मार्च को भारत ने पाकिस्तान के उस निर्णय का स्वागत किया था, जिसके तहत उसने भारत को सबसे पसंदीदा देश का दर्जा देने और सीमा के दोनों तरफ व्यापारिक संबंधों को सामान्य बनाने की घोषणा की थी।
गिलानी ने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी है और उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशिया की भूमिका तेजी के साथ परिवर्तित हुई है।