नई दिल्ली/सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस अपील को समीक्षा के लिए मंजूर कर लिया है, जिसमें उसने कहा है कि देश में वेश्यावृत्ति को किसी भी रूप में इजाजत नहीं दी जा सकती है। गौरतलब है कि एक समिति ने सेक्स वर्करों को सम्मान के साथ अपनी गतिविधि चलाने की आज्ञा देने की सिफारिश की थी। जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा की विशेष पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट वेश्यावृत्ति की इजाजत देता है तो यह इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट की भावना के विपरीत होगा, जो वेश्यावृत्ति को प्रतिबंधित करता है। मल्होत्रा ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह पिछले साल 19 जुलाई को अपने आदेश में दिए गए उस संदर्भ को हटा दे, जो सेक्स वर्करों के लिए सम्मान के साथ काम करने का माहौल बनाने से संबंधित है। उन्होंने पीठ से यह भी आग्रह किया कि वह शीर्ष अदालत की ओर से गठित पैनल से पश्चिम बंगाल के एनजीओ दरबार महिला समन्वय समिति को हटा दे क्योंकि यह संगठन सेक्स वर्करों की ओर से आवाज उठा रहा है। उसने कलकत्ता हाईकोर्ट में वेश्यावृत्ति के समर्थन में याचिका भी दायर की है।