नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज वित्तमंत्री पी चिदंबरम को राहत दे दी है। अदालत ने विवादास्पद 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन प्रकरण में चिदंबरम की कथित भूमिका की जांच के लिए दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है।न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की खंडपीठ जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी और गैर-सरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस की याचिकाओं की ग्राह्यता के सवाल पर निर्णय किया।उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि चिदंबरम को वित्तीय फायदे मिले हैं। अदालत ने कहा कि स्पेक्ट्रम मूल्यों पर चिदंबरम के सिर्फ ए राजा और दूरसंचार विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर लेने से ही उनके खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला नहीं बनता है।उल्लेखनीय है कि चिदंबरम को सह-आरोपी बनाने की याचिकाएं जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी और एनजीओ सीपीआईएल ने दायर की थी। कोलगेट में बीजेपी का वार झेल रही कांग्रेस ने चिदंबरम के खिलाफ याचिकाएं खारिज होने से कांग्रेस ने राहत की सांस ली है। पार्टी के प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि हम पहले से ही कह रहे थे कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। उनके मुताबिक विपक्ष और सुब्रमण्यम स्वामी दुष्प्रचार कर रहे हैं। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस याचिका में पी चिदंबरम के मामले में निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने 2-जी प्रकरण में चिदंबरम को अभियुक्त बनाने से इनकार करते हुए कहा था कि वह किसी आपराधिक साजिश में शामिल नहीं थे।वहीं गैर-सरकारी संगठन की अर्जी में कहा गया था कि इस मामले में चिदंबरम की भूमिका की जांच के लिए गहन जांच की आवश्यकता है, क्योंकि 2008 में तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन के समय चिदंबरम ही वित्तमंत्री थे।