मछुआरों की गिरफ्तारी पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस

Update: 2013-10-25 00:00 GMT

नई दिल्ली। श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों को पकड़े जाने के मामले पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर एक महीने में इस पर जवाब मांगा है। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि श्रीलंकाई नौसेना न सिर्फ मछुआरों को पकड़ रहे हैं, बल्कि उनकी नावों को भी क्षति पहुंचा रहे हैं और उन्हें महीनों बाद छोड़ा जा रहा है।
केंद्र व तमिलनाडु सरकार को इस नोटिस पर जवाब चार सप्ताह के भीतर देना है। न्यायमूर्ति सदाशिवम ने कहा कि हम इस बात से खुश हैं कि तमिलनाडु के सभी सांसद अपनी-अपनी पार्टी से ऊपर उठते हुए इस मसले पर एकजुट हैं।
न्यायालय ने कहा कि सिर्फ दिखावे के लिए इस मसले का समाधान राजनीतिक या कूटनीतिक रूप से करना आसान नहीं है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद ए.के.एच. विजयन और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम(एआईएडीएमके) के एक अन्य सांसद ने न्यायालय में याचिका दायर की थी।
उच्चतम न्यायालय ने द्रमुक के सांसद ए.के.एस विजयन और अन्ना द्रमुक के सांसद एम थम्बीदुरई तथा कुछ अन्य लोगों की ओर से दायर दो अलग अलग याचिकाओं पर केंद्र एवं तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया।
इन याचिकाओं में श्रीलंकाई जेलों में बंद मछुआरों की रिहाई को लेकर मांग की गई है। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को अपने जवाब दाखिल करने का आदेश जारी करने के साथ ही यह भी कहा कि श्रीलंकाई नौसेना के हमले से मछुआरों की रक्षा की जाए।

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