नई दिल्ली | दागी सांसदों और विधायकों पर उच्चतम न्यायालय की ओर से हाल ही में दी गई व्यवस्था के फलस्वरूप दोषी ठहराए जाने के तत्काल बाद अयोग्य घोषित होने की स्थिति से निपटने में मदद के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए जा सकते हैं।
अटॉर्नी जनरल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद दोषी ठहराए गए सांसद और विधायक तत्काल अयोग्य घोषित हो जाएंगे। ऐसे में अयोग्यता की घोषणा के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होगा। साथ ही रिक्त होने वाली सीटों का मुद्दा भी सरकार, राज्यसभा और लोकसभा सचिवालयों तथा निर्वाचन आयोग के लिए चिंताजनक है। उच्चतम न्यायालय ने दस जुलाई को दिए अपने फैसले में निर्वाचन कानून का वह प्रावधान रद्द कर दिया जो दागी सांसदों या विधायकों को उच्च अदालतों में अपील लंबित होने के आधार पर अयोग्यता से बचाता था। चारा घोटाले में राजद नेता लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने अटॉर्नी जनरल की राय मांगी।
अटॉर्नी जनरल ने स्पष्ट किया कि दोषी ठहराए जाने के तत्काल बाद सांसद या विधायक अयोग्य हो जाएंगे। लेकिन समझा जाता है कि पालन की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। समझ जाता है कि अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अयोग्यता संबंधी अधिसूचना का जारी किया जाना एक तकनीकी प्रक्रिया है।