फिर लटका एंटी रेप बिल , मंत्री समूह करेगा चर्चा

Update: 2013-03-12 00:00 GMT

नई दिल्ली। बलात्कार विरोधी कानून (एंटी रेप बिल) में संशोधन से जुड़े विधेयक पर कैबिनेट में आम सहमति नहीं बन पाई। इसके चलते फिलहाल फैसले को टाल दिया गया है। कैबिनेट में बिल के कई बिंदुओं पर मतभेद नजर आए। सहमति नहीं बनने पर इसे मंत्री समूह यानी जीओएम को भेज दिया गया है। विधेयक पर अब जीओएम की बैठक में चर्चा होगी। जीओएम में चर्चा के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।  चर्चा में सबसे बड़ा मतभेद इस बात पर था कि सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल बरकरार रखी जाए या फिर इसे घटाकर 16 साल कर दिया जाए। इस विधेयक में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए सजा और सख्त बनायी गयी है। इसमें बलात्कार को विशेष लिंग केंद्रित बनाने का प्रावधान है और ‘यौन उत्पीड़न’ शब्द को हटाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें लिंग के आधार पर भेद नहीं है। अगर बदलावों को स्वीकार कर लिया गया तो इसका मतलब यह होगा कि बलात्कार की किसी भी घटना का आरोप सिर्फ पुरुषों पर होगा।
अध्यादेश के एक और प्रावधान को इस विधेयक के जरिए हटाने की संभावना है। अध्यादेश में प्रावधान था कि अगर किसी अधिकारी को बलात्कार का दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम उम्रकैद की सजा दी जा सकेगी, लेकिन अगर विधेयक के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया तो बलात्कार के दोषी अधिकारी को अपना ‘‘स्वाभाविक जीवन’’ जेल में ही गुजारना होगा। विधेयक में अधिकारी का मतलब भी समझाया गया है. इसके तहत पुलिस या सशस्त्र बलों के अधिकारी या डॉक्टर या किसी अस्पताल के कर्मचारी, जेलर या रिमांड होम के वार्डन आएंगे।
ताजा प्रस्ताव में देश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि वे यौन हिंसा के किसी भी रूप की शिकार बनी महिलाओं को मुफ्त मेडिकल इलाज मुहैया कराएंगे। अस्पतालों या ऐसी ही संस्थाओं को पुलिस का इंतजार नहीं करना है। वे पुलिस को सूचित करने के तुरंत बाद इलाज शुरू कर सकते हैं। इनसे इंकार करना अपराध होगा जिसके लिए एक साल तक की सजा हो सकती है।
बता दें कि महिला अधिकार संगठनों द्वारा की जा रही मांगों के मद्देनजर यह बदलाव किए गए हैं। महिला संगठनों का कहना था कि कानून लैंगिक तौर पर उदासीन रहने से ज्यादा अच्छा है कि यह लैंगिक तौर पर संवेदनशील रहे। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर में उन मंत्रियों को शामिल किया जाएगा जो कानून के जानकार हैं। वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में जीओएम बनेगा और इसमें कानून मंत्री और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री कृष्णा तीरथ भी शामिल रहेंगी। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर अपनी रिपोर्ट गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में रखेगा।



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