भुल्लर को होगी फांसी, सर्वोच्च न्यायालय ने दया याचिका की ख़ारिज

Update: 2013-04-12 00:00 GMT

 
नई दिल्ली |
सर्वोच्च न्यायालय ने, वर्ष 1993 में दिल्ली में हुए बम विस्फोट के लिए दोषी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की वह याचिका  खारिज कर दी, जिसमें उसने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी तथा न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी दया याचिका पर राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने में देरी के आधार पर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में पुख्ता तर्क दे पाने में नाकाम रहा। अदालत ने फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने से साफ इनकार किया। अदालत के इस फैसले से भुल्लर को फांसी देने का रास्ता साफ हो गया। भुल्लर को, दिल्ली में युवक कांग्रेस के दफ्तर में वर्ष 1993 में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। हमले का निशाना युवक कांग्रेस के तत्कालीन नेता एम. एस. बिट्टा थे। इस धमाके में 9 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और तत्कालीन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष एम. एस. बिट्टा सहित 25 लोग जख्मी हो गए थे। भुल्लर ने 14 जनवरी, 2003 को दया याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 25 मई, 2011 को खारिज कर दिया था।


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