यूपी फर्जी मुठभेड़ मामले में तीन को फांसी, पांच को कारावास

Update: 2013-04-05 00:00 GMT

लखनऊ | केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने गोंडा में 1982 में हुए फर्जी मुठभेड़ मामले में शुक्रवार को तीन पुलिसर्मियों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने पांच पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की भी सजा दी। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने पिछले 29 मार्च को सभी आठ पुलिस वालों को दोषी करार दिया था। विशेष न्यायाधीश ने गोंडा के माधोपुर थाना प्रभारी आर.बी.सरोज, हेड कांस्टेबल रामनायक और सिपाही रामकरन को फांसी की सजा दी। दारोगा नसीम अहमद, सिपाही मंगल सिंह, परवेज हुसैन, राजेन्द्र प्रसाद सिंह तथा प्रेम नारायण पांडेय को आजीवन कारावास की सजा दी गई है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने गत 29 मार्च को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कौडिया के तत्कालीन थानाध्यक्ष आर बी सरोज, पीएसी कमाण्डर रमाकान्त दीक्षित, दरोगा नसीम अहमद, मंगल सिंह, परवेज हुसैन, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, हेड कांस्टेबल राम नायक पाण्डेय तथा कांस्टेबल रामकरन को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाने की तारीख पांच अप्रैल मुकर्रर की थी। एक आरोपी पुलिसकर्मी प्रेम सिंह रैकवार को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया था। अदालत ने आज सजा सुनाते हुए आऱ बी़ सरोज, राम नायक तथा राम करन को फांसी तथा बाकी दोषी करार पांच पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।



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