नई दिल्ली | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को बुद्धिमान, प्रतिबद्ध और आदर्शवादी सोच वाले लोगों की जरूरत है, जो कमजोर लोगों की आवाज बन सकें। दिल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के स्नातक उत्तीर्ण पहले बैच को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "हमें बुद्धिमान, प्रतिबद्ध और आदर्शवादी सोच रखने वाले लोगों की जरूरत है, जो समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकें।"
उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले छात्र गरीबों के लिए काम करेंगे और वंचित वर्ग की समस्याएं उठाने को प्राथमिकता देंगे।
राष्ट्रपति ने छात्रों से यह भी कहा कि ऐसा वे कृतज्ञता के लिए न करें, बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझकर करें। उन्होंने कहा, "इसे अपने कर्तव्य की तरह पूरा करें। आपका योगदान दुनिया में समानता लाने और आपकी मातृभूमि के लिए होना चाहिए, जिसने आपको वह बनाया जो आज आप हैं।"
राष्ट्रपति ने कहा कि अन्याय के खिलाफ लड़ना वकीलों की जिम्मेदरी है। उन्हें निश्चित तौर पर अपराध, गरीबी, घरेलू हिंसा, जातिगत असमानता तथा शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए।
उन्होंने विधि विश्वविद्यालय से नैतिक चुनौतियों का नेतृत्व करने और नौ आवश्यक सभ्य मूल्य- मातृभूमि से प्रेम, जिम्मेदारियों का निर्वाह, सभी के लिए करुणा, विभिन्न जाति एवं वर्गो के प्रति सहिष्णुता, महिलाओं का सम्मान, जीवन में ईमानदारी, आचरण में आत्मसंयम, कार्यो में जिम्मेदारी तथा अनुशासन युवाओं को सिखाना सुनिश्चित करने के लिए कहा।
राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं एवं बच्चों के साथ दुष्कर्म तथा बर्बरता का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इन घटनाओं से साफ है कि मूल्यों का तेजी से क्षरण हो रहा है, जिसे देखते हुए हमें आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है। ये घटनाएं महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में व्यवस्था की विफलता की ओर भी संकेत करती हैं।