नई दिल्ली | उत्तराखंड में बाढ़ से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ ने केदारनाथ धाम में भारी तबाही मचाई है। केदारनाथ मंदिर को छोड़कर आसपास का इलाका बुरी तरह तबाह हो चुका है। केदारनाथ से नीचे रामबाड़ा बाजार और गौरीकुंड में भी भारी तबाही हुई है| गढ़वाल के कमिश्नर के मुताबिक मरने वालों की संख्या 200 से ज्यादा हो सकती है। जबकि सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। केदरानाथ में 50 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
मानसून की शुरुआती बारिश ने उत्तराखंड में जो तबाही मचाई उसे देखकर पूरी दुनिया कांप गई है। केदारनाथ धाम के आसपास का पूरा इलाका बहुत बड़े मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। बड़े-बड़े पत्थरों से घिरा केदारनाथ मंदिर का शिखर और उस पर लगा कलश ही नजर आ रहा है। बाकी का पूरा मंदिर मलबे में समा चुका है। मंदिर की सीढ़ियां, ऊंची दीवारें कुछ नहीं दिख रही है।
नजदीक में बनी हुई सारी इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं। तबाही का अंदाजा केदारनाथ की पुरानी तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। तबाही से पहले कितना विशाल था केदारनाथ मंदिर। केदारनाथ से नीचे की तरफ बढ़े पानी के सैलाब ने रास्ते में आने वाले हर घर, हर दुकान को खत्म कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक केदारनाथ के बाद सबसे ज्यादा तबाही मची रामबाड़ा नाम की जगह पर। केदारनाथ से रामबाड़ा करीब 7 किलोमीटर दूर है। चश्मदीदों का कहना है कि अब रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। यानि दुकानें, इमारतें, घर सब कुछ खत्म हो चुके हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी कि रामबाड़ा केदारनाथ जाते वक्त आखिरी और सबसे अहम पड़ाव था। यहां भी सैकड़ों की तादाद में लोग रुकते हैं। लेकिन अब कौन कहां है, किसी की खबर नहीं लग रही। रामबाड़ा के करीब 7 किलोमीटर नीचे पड़ता है गौरीकुंड। गौरीकुंड केदारनाथ से 14 किलोमीटर दूर है। चार धाम यात्रा के दौरान यहां भी हजारों की तादाद में भक्त रुकते हैं। लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि जब चट्टानों से भरा हुआ पानी का सैलाब आया तो अपने साथ सब कुछ बहा ले गया। चंद खुशकिस्मत लोगों ने पास की पहाड़ियों पर चढ़कर अपनी जान बचाई। जिन भी लोगों ने दुकानों और इमारतों पर भरोसा किया वो सभी पानी में बह गए।
मंगलवार को मौसम खुलने के बाद हेलीकॉप्टरों की मदद से कुछ लोगों को राहत कैंपों में लाने का काम शुरू किया गया। मंगलवार को सेना ने केदारनाथ से करीब 800 लोगों को निकाला। मंगलवार तक केदारनाथ के आसपास करीब 6000 श्रद्धालु फंसे हुए थे।