उत्तराखंड में 50000 लोगों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी

Update: 2013-06-22 00:00 GMT

देहरादून। उत्तराखंड में कुदरत ने जो कहर बरपाया है उससे निपटना और निकलना इंसानों के लिए काफी मुश्किलों भरा साबित हो रहा है। लगभग एक सप्ताह होने को है और केदारनाथ समेत आस पास के प्रभावित इलाकों में अभी भी लगभग 50000 लोग फंसे हुए हैं। वहीं राहत व बचाव कार्य में जुटे जवानों के लिए यह चुनौती और भी बढ़ गयी है क्योंकि इन लोगों को बचाने के लिए उनके पास मात्र 48 घंटे का समय है। लगातार मृतकों की बढ़ती संख्या अब 600 के करीब पहुंच चुकी है। क्षतिग्रस्त इलाकों का जायजा लेने आज गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे आज उत्तराखंड जायेंगे।
उत्तराखंड में 14 से 17 जून के बीच हुई मूसलाधार बारिश के बाद आई बाढ़ और भूस्खलन से केदारनाथ समेत कई इलाकों में भारी तबाही हुई है। हजारों लोग लापता हैं और चारधाम की यात्रा का समय होने के कारण इस समय उत्तराखंड में अभी भी 50 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री फंसे हुए हैं।
वहीं मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के अंदर बारिश होने की आशंका जतायी है जिसके चलते सेना के जवान अपने अभियान को चुनौती मानकर लगे हुए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस त्रासदी पर कहा, हिमालय के इतिहास में इस तरह की त्रासदी नहीं हुई थी। साथ ही यह भी कहा कि उत्तराखंड के पुनर्निर्माण में समय लगेगा और अगले दो वर्षों तक केदारनाथ की तीर्थयात्रा संभव नहीं हो सकेगी। केदारनाथ में प्रकृति ने सबसे ज्यादा तबाही मचायी है। बहुगुणा ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड राष्ट्रीय आपदा राहत प्रबंधन के नियमों को पूरा नहीं किया, लेकिन यह भी कहा कि उनके प्रशासन को बादल फटने की चेतावनी नहीं दी गई थी।
बेहिसाब मौतों की आशंका और हजारों पीड़ितों को बचाने में सेना के जवान युद्धस्तर पर लगे हुए हैं। कल रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में फंसे हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। लोगों को निकालने के लिए सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ के जवान  पूरी तरह से लगे हुए हैं। लगभग 12 हजार जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में पूरी ताकत झोंक दी है। ये जवान अब तक के सबसे बड़े राहत व बचाव अभियान को अंजाम देने में जुटे हुए हैं।

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