देहरादून। चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों के ऊंचाई वाले इलाकों सहित कई स्थानों पर आज बारिश और भूस्खलन से उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर द्वारा बचाव अभियान प्रभावित हुआ है। गुप्तकाशी और गोचर में भी यही स्थिति है जहां रुक- रुककर हो रही बारिश और पूरे क्षेत्र में धुंध की समस्या बनी हुई है। दिल्ली में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि मलबा हटाये जाने के बाद बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में मरने वालों की संख्या एक हजार के आंकड़े को पार कर सकती है। वहीं मौसम विभाग की बारिश की चेतावनी के बाद बचावकर्मियों की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं। पूरे राज्य में आज बारिश होने की संभावना जतायी गयी है ऐसे में अभी भी 10 हजार लोगों को सुरक्षित निकालना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गयी है। अभी भी राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों में 10 हजार के करीब लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालना किसी चुनौती से कम नहीं है। खराब मौसम और तेज बारिश की आशंका के बीच बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि इन लोगों को कैसे सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया जाए वह भी एक समय सीमा के अंदर। वायुसेना और दूसरी बचाव एजेंसियों का कहना है कि आज अगर उन्हें तीन से चार घंटे का वक्त मिल गया तो वे सभी फंसे लोगों को निकाल लेंगे। बचाव दल के लिए हर्षिल में फंसे करीब दो हजार लोगों को निकालना भी बड़ी चुनौती है, जो पिछले नौ दिन से वहां फंसे हुए हैं। करीब पांच हजार लोग बद्रीनाथ में फंसे हुए हैं। हालांकि राहत व बचाव कार्य में सभी जवान पूरी तरह से जुटे हैं। रविवार को बचावकार्य में तेजी लाते हुए 12 हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया, जिसमें 3100 लोगों को वायुसेना के अभियान में बचाया गया। कुल मिलाकर अब तक 80 हजार लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंच चुके हैं। बचाव और राहत के बीच उत्तराखंड से बुरी खबरें भी आ रही हैं। उत्तराखंड के मंत्री यशपाल आर्या ने आशंका जताई है कि सैलाब के बाद यहां मरने वालों की तादाद पांच हजार से भी अधिक हो सकती है। जबकि मात्र 680 लोगों के मरने की पुष्टि आधिकारिक तौर पर की गयी है। इसी बीच केदारनाथ मंदिर में सफाई का काम भी शुरू किया जायेगा।
राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि मंदिर के आसपास पड़े शवों की शिनाख्त के बाद उनका अंतिम संस्कार भी किया जाएगा, क्योंकि पिछले नौ दिनों से शवों के वहां पड़े रहने की वजह से महामारी के फैलने की भी आशंका है।