देहरादून। उत्तराखंड त्रासदी में फंसे लोगों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर राहत व बचावकार्य अभी भी जारी है और अब यह अपने अंतिम चरण में है। करीब एक हफ्ते से लगे सेना के जवानों ने इस अभियान को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी जिसके चलते यह काम अंतिम दौर में पहुंच चुका है। हालांकि मौसम अभी भी वहां पूरी तरह से साथ नहीं दे रहा जिसके चलते थोड़ी दिक्कतें आ रही हैं। अभी भी वहां करीब तीन हजार लोगों के फंसे होने की संभावना जतायी गयी है। वहीं शवों का अंतिम संस्कार भी दो दिनों से जारी है।
उत्तराखंड में प्रलंय से मची तबाही के बाद केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर चल रहा राहत और बचाव अभियान पूरा होने के करीब पहुंच गया है। उम्मीद जतायी जा रही है कि एक से दो दिनों में अधिकांश दुर्गम स्थलों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक बद्रीनाथ और हर्षिल में करीब ढ़ाई हजार से तीन हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाना अभी बाकी है। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक लापता बताए जा रहे तीन हजार लोगों को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
केदारनाथ में महामारी फैलने की आशंका से अब पूरा ध्यान मलबे में दबे शवों को बाहर निकालने और बरामद किए जा चुके शवों के सामूहिक दाह-संस्कार पर दिया जा रहा है। उत्तराखंड त्रासदी में सबसे ज्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है। उत्तराखंड सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि रूक-रूक कर हो रही बारिश की वजह से थलसेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीएमए और एनडीआरएफ की ओर से संचालित किया जा रहा राहत और बचाव अभियान थोड़ी बाधा के बावजूद कल पूरे दिन जारी रहा। बद्रीनाथ से एक हजार से ज्यादा जबकि हर्षिल से करीब पांच सौ फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
खराब मौसम की वजह से दिन में कभी-कभी हेलीकॉप्टरों की उड़ान रोकनी पड़ी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी ने बताया कि अब तक तकरीबन एक लाख लोगों को बचाकर बाहर निकाला जा चुका है।