नई दिल्ली | छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने नक्सलवाद और आतंकवाद को एक बताते हुए कहा कि लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस खतरे से राष्ट्रीय आम सहमति के साथ पूरी एकजुटता एवं सख्ती से निपटाना होगा, अन्यथा इसे समूल रूप से खत्म नहीं किया जा सकेगा। डॉ. रमन सिंह यहां विज्ञान भवन में आंतरिक सुरक्षा पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की। सम्मेलन में केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे, गृह राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह तथा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।
नक्सलवाद को आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक एवं ढांचागत विकास की समस्या बताने वालों तर्कों को आडे हाथों लेते हुए डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि स्कूलों, पुलों, अस्पतालों को बम से उड़ा देने वाले और वनवासियों से भोजन तक छीन लेने वाले नक्सलवादियों के मुद्दे को विकास की समस्या बताना हास्यास्पद है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में जीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों के अब तक के सबसे बडे हमले और प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की जघन्य हत्या की गई । इसी हमले की पृष्ठभूमि में हो रहे इस सम्मेलन में रमन सिंह ने नक्सलवाद को लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया और कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष की रैलियों को मिल रहे जनसमर्थन से प्रजातंत्र को मजबूत होते देख नक्सलियों ने बौखलाहट में इस जघन्य कांड को अंजाम दिया है।
उन्होंने कहा कि इस घटना ने दिखा दिया है कि नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के समान ही नक्सलवादी हिंसा पर भी सिर्फ एक दृष्टिकोण की गुंजाइश है और वह है इस हिंसावाद से सख्ती से निपटना, वरना नक्सलवाद से मुकाबला मुश्किल हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि यह हमला वास्तव में छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। लोकतंत्र की जीत सुनिश्चित करने के लिए हमको पूरी ताकत के साथ आगे आना होगा। नक्सलवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही के लिए पूरा देश एकजुट है।