उत्तराखंड में राशन के लिए जान जोखिम में डालने को लोग मजबूर

Update: 2013-07-10 00:00 GMT

नई दिल्ली | उत्तराखंड में आये सैलाब को करीब एक महीनें होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक वहां की हालत में कोई सुधार नहीं हो पाया है। वहीं लगातार बारिश और भूस्खलन ने राहत कार्य को भी बाधित कर दिया है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में रास्ते पूरी तरह से कटे हुए हैं और ज़रूरत का सामान लेने के लिए लोगों को बेहद ख़तरनाक रास्तों से होकर गुज़रना पड़ रहा है। बचावकार्य में लगे जवान भी अपनी जान जोखिम में डालकर वहां पर डटे हुए हैं। वहीं सेना के जवान केदारनाथ के लिए एक नया रास्ता बनाने की कोशिश में जुटे हैं। उत्तरकाशी में अपने परिवार के लिए राशन लेकर लौट रही एक लड़की के लिए वहां का पुल काल साबित हुआ। 17 साल की एक लड़की अपने कंधे पर राशन लिए जब पुल को पार कर ही रही थी कि अचानक संतुलन गंवा बैठी और ऋषिगंगा में बह गई। और तबसे ही लड़की का कुछ पता नहीं चला है। ऐसे ही खतरनाक रास्तों से गुज़रकर आए लोगों की यहां भीड़ लगी है जिन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अपनी जान की परवाह करें या अपने पेट की।
भारी बारिश की वजह से कई जगह भूस्खलन होने से वहां के सारे रास्ते कट गए हैं। उत्तराखंड के कई गांवों की यही कहानी है। स्वयंसेवी संस्थाएं और आम लोग मदद को आगे आ रहे है लेकिन असली मुसीबत अनाज को लोगों तक पहुंचाना है। रास्ते ना होने के चलते राशन लदे वाहन जस तस खड़े हैं।
वहीं प्रशासन का कहना है कि उसने ऊपरी इलाकों में जगह−जगह अनाज इकट्ठा करने के इंतज़ाम किए हैं ताकि अगले तीन महीने तक इन इलाकों में राशन की कमी न हो।

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