संयुक्त राष्ट्र | तालिबान के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली पाकिस्तानी किशोरी मलाला यूसुफ जई ने संयुक्त राष्ट्र में दिये गये अपने पहले सार्वजनिक भाषण में कहा कि वह महात्मा गांधी के अहिंसा के मार्ग से प्रेरित हैं। तालिबान आतंकवादियों ने मलाला के सिर में गोली मार दी थी जिसके बाद उनका विश्व निकाय में यह पहला सार्वजनिक भाषण था। मलाला ने अहिंसा पर जोर देने वाले गांधी जी और अन्य वैश्विक नेताओं को याद करते हुये कहा कि मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं और न ही मैं तालिबान या किसी अन्य आतंकवादी गुट के खिलाफ निजी बदला लेने के लिये यहां पर बोल रही हूं। मलाला ने संयुक्त राष्ट्र के युवा सभा में कहा कि मैं यहां प्रत्येक बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार पर बोलने आई हूं।
उन्होंने कहा कि मैं तालिबान और अन्य आतंकवादियों तथा अतिवादियों के सभी बेटों और बेटियों के लिये शिक्षा चाहती हूं। मैं यहां तक कि तालिबान से घृणा भी नहीं करती हूं जिन्होंने मुझे गोली मारी थी। इसके बावजूद यदि मेरे हाथ में बंदूक हो और वे मेरे सामने हो तो मैं उन्हें गोली नहीं मारूंगी। मलाला ने कहा कि अहिंसा का यही दर्शन है जिसे मैंने गांधी जी, बादशाह खान और मदर टेरेसा से सीखा है। मलाला ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि वह आतंकवादियों की धमकी से चुप नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि आईये हम किताबें और कलम उठायें। ये हमारे सबसे शाक्तिशाली हथियार हैं। एक शिक्षक, एक किताब, एक कलम, दुनिया को बदल सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने मलाला का 16वां जन्मदिन मलाला दिवस के रूप में मनाया था और विश्वभर से आये युवाओं के लिये दिन भर का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मलाला द्वारा सभी के लिये शिक्षा सुनिश्चित करने के साहसिक रवैये के सम्मान में उनके 16वें जन्मदिन को मलाला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि नौ अक्टूबर, 2012 को स्वात घाटी में स्कूल जाते समय तालिबान के क्रूर हमले के बाद मलाला विश्वभर में लड़कियों की शिक्षा के लिये एक वैश्विक प्रतीक बन गई।