उच्चतम न्यायालय ने खारिज की कैग की नियुक्ति के खिलाफ अर्जी

Update: 2013-07-15 00:00 GMT

नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के तौर पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति के खिलाफ दायर अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे केंद्र सरकार को बडी राहत मिली है। दो महीने पहले, विनोद राय के रिटायर होने के बाद पूर्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को कैग नियुक्त किया गया था। उनकी इस नियुक्ति पर कुछ रिटायर्ड अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एन गोपालस्वामी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल आरएच ताहिलियानी और एडमिरल एल रामदास के अलावा पूर्व डिप्टी कैग बीपी माथुर ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए अर्जी लगाई थी कि शर्मा की नियुक्ति पक्षपात के साथ की गई और उसमें पारदर्शिता की कमी रही। यह अर्जी खारिज जाने से केंद्र का संप्रग सरकार को बडी राहत मिली है, क्योंकि दो साल पहले पीजे थॉमस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) बनाए जाने को लेकर सरकार को बडी शमिंदगी झेलनी पडी थी। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पद से हटाना पडा था।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने वाले अधिकारियों का कहना था कि शशिकांत शर्मा के कैग के रहने पर हितों का टकराव पैदा हो सकता है, क्योंकि अगर वह उन रक्षा सौदों की जांच करेंगे जो उनके महानिदेशक (अधिग्रहण) या रक्षा सचिव रहने के दौरान हुए थे, तो उनका रवैया कैसा होगा! रक्षा मंत्रालय में शर्मा के कार्यकाल के दौरान कई बडे सौदे हुए थे, जिनमें इटेलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर जैसे सौदे भी शामिल हैं, जिसके घूसकांड को लेकर खूब हंगामा मचा। इन अधिकारियों का कहना था कि सरकार को कैग की नियुक्ति के लिए एक उचित और पारदर्शी प्रक्रिया बनाने की जरूरत है। ऎसी बडी नियुक्तियों के लिए किसी तरह के कॉलेजियम का इंतजाम नहीं है जैसा सीवीसी के मामले में होता है, जिसका चुनाव प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री मिलकर करते हैं।

Similar News