नई दिल्ली। उत्तराखंड की तबाही को आज 17 दिन हो चुके हैं। जहां अंतिम दौर में चल रहे राहत व बचाव कार्य से थोड़ी राहत महसूस होती नजर आ रही थी वहीं संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के दावे ने तहलका सा मचा दिया है। एजेंसी ने इस तबाही में 11 हजार से भी ज्यादा लोगों के लापता होने का दावा किया है। हालांकि भारत सरकार की ओर से भी अब तक ना तो मृतकों के आंकड़े स्पष्ट किये गये हैं और ना ही लापता लोगों के। ऐसे में कौन से आंकड़ों को सच माना जाये यह कहना बेहद मुश्किल है।
वहीं कल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन एम शशिधर रेड्डी ने कहा कि, शनिवार तक 1350 लोगों को बद्रीनाथ से हटा लिया गया है। इस में 800 हवाई मार्ग से और 550 सड़क मार्ग से बचाए गए हैं। अब तक केदारनाथ में 580 लोगों की मौत की बात एनडीआरएफ की टीम ने कही है, साथ ही 8534 लोगों को यहां से बचाने का दावा भी टीम ने किया है। टीम ने बताया कि अब तक पूरे उत्तराखंड से बचाए गए लोगों की संख्या 1,08,253 तक हो गई है।
एनडीएमए के उपाध्यक्ष रेड्डी के जानकारी दी कि सबसे ज्यादा मौतें केदारनाथ और रामबाड़ा में हुई हैं। और अब तक कुल 3119 लोग इस आपदा में घायल हुए हैं। रेड्डी के अनुसार अब आपदा से प्रभावित गांव की संख्या 2375 से बढ़कर 4200 तक पहुंच गई है। उनका कहना है कि 2865 रोड का रास्ता दुरुस्त कर लिया गया है, वहीं 1335 रोड से गांव का संपर्क स्थापित करना अभी बाकी है। फिलहाल 737 रोड गाड़ियों के लिए अभी उपयुक्त नहीं हो पाई हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में योजना एवं विकास पर गौर करने के लिए पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण प्राधिकरण स्थापित किए जाने की घोषणा की है। यह निकाय अगले 100 साल तक आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर सुरक्षा उपायों पर भी गौर करेगा। बहुगुणा ने एक सम्मेलन में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुए भारी नुकसान पर विचार करते हुए कैबिनेट ने यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इस प्राधिकरण में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड को फिर से बसाया जाएगा और आगे से नदियों के किनारे किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।