देहरादून | बद्रीनाथ में फंसे 150 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के साथ ही उत्तराखंड त्रासदी के बाद फंसे सभी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बचाने का काम पूरा हो गया है, पर पीड़ित लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। राज्य पर फिर तबाही के काले बादल मंडरा रहे हैं। गुप्तकाशी में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। जानकारी के अनुसार, पिथौड़ागढ़ में मौसम खराब होने से राहत-बचाव कार्य रुक गया है। यहां अब भी 800 लोग फंसे हुए हैं।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आज राज्य के कई इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार शाम से भारी बारिश शुरू होगी जो अगले 48 से 72 घंटे तक जारी रह सकती है। कुमाऊं क्षेत्र के साथ साथ पिथौरागढ़, नैनीताल, चंपावत में भारी बारिश की आशंका है, जबकि बद्रीनाथ के रास्ते में पड़ने वाले चमोली में भी भारी बारिश हो सकती है।
उधर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने बताया कि उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन में अब भी करीब 3500 लोग लापता हैं। रेड्डी ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार लापता लोगों की संख्या केवल 3,500 से 3,700 तक बताई गई है। एनडीएमए के ताजा आंकड़ों के अनुसार बारिश और बाढ़ से उत्तराखंड के 4,200 गांव प्रभावित हुए हैं और 2,397 घर तथा 194 पुल तबाह हो गए। रेड्डी ने कहा कि सैकड़ों स्थानीय लोगों ने बद्रीनाथ से निकाले जाने का अनुरोध किया है और मौसम सही होते ही इन लोगों को सुरक्षित निकालने का काम किया जाएगा जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी और कुछ एनजीओ के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में 11 हजार से अधिक लोगों के लापता होने की आशंका है।
इससे पहले, मॉनसूनी बारिश के बाद बाढ़ एवं भूस्खलन के कारण फंसे करीब 1.1 लाख लोगों को सेना, भारतीय वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने सभी कठिनाईयों का सामना करते हुए उन्हें बाहर निकाला। चमोली जिले के जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन ने बताया कि बद्रीनाथ धाम में फंसे शेष सभी श्रद्धालुओं को निकाल लिया गया है। अब वहां कुछ स्थानीय एवं नेपाल मजदूर बचे हुए हैं जिन्हें धीरे-धीरे निकाल लिया जाएगा। टूटी सड़कों को ठीक कर दिया गया है। वायुसेना के एक अधिकारी ने दिल्ली में कहा कि भारतीय वायु सेना ने करीब एक हफ्ते के लिए अपने दस और हेलीकाप्टर को वहां तैनात रखने का फैसला किया है ताकि किसी भी अभियान के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके।