देहरादून। उत्तराखंड में बाढ़, बारिश और भूस्खलन से आयी तबाही को करीब 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब भी यहां फंसे लोगों को निकाले जाने का काम बाकी है। ऐसे में भारी बारिश होने की चेतावनी राहत व बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकती है। अभी भी 300 लोग केदारनाथ में फंसे हुए है।
वहीं इसी बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गैरकानूनी निर्माण रोकने और उत्तराखंड जैसी आपदा से बचने के लिए केंद्र सरकार से एक राष्ट्रीय पर्यावरण नीति घोषित करने की मांग की है। उन्होंने उत्तराखंड की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की है।
इस बारे में केन्द्रीय गृहसचिव अनिल गोस्वामी ने कहा है कि अब हमारे सामने बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह यहां की जिंदगी को दोबारा रास्ते पर लाया जाए। उत्तराखंड के एक हजार तीन सौ पैंतीस गांव अभी भी पूरी तरह से कटे हुए हैं। इन गांवों में हेलीकॉप्टर के जरिये राशन पहुंचाया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड के 496 गावों में बिजली नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अब तक लापता लोगों का ना तो कोई आंकड़ा मिल पा रहा और ना कोई खबर। राहत व बचाव कार्य का काम जारी है। वहीं शवों के अंतिम संस्कार में बारिश के चलते थोड़ी मुश्किलें आ रही हैं।