नई दिल्ली | सीबीआई उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपना यह पक्ष पुरजोर तरीके से रख सकती है कि उसकी स्वायत्तता की मांग वैध है और इस तरह वह अपने कामकाज में हस्तक्षेप को रोकने का रास्ता साफ करने का प्रयास करेगी। दो दिन पहले ही सरकार ने सीबीआई के निदेशक को और ज्यादा अधिकार देने के एजेंसी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
सीबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने प्रस्ताव रखा था कि इसके निदेशक को सीधे कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्री को रिपोर्ट करना चाहिए जिसका उद्देश्य लालफीताशाही को कम करना है क्योंकि एजेंसी की अनेक फाइलें अलग-अलग मंत्रालयों में कई स्तरों पर अटकी हुई हैं।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई जवाबदेही के महत्व को समझती है और अधिक अधिकारों की इसकी मांग समयबद्ध तरीके से जांच करने के उद्देश्य से की गयी है। स्वायत्तता के मुद्दे पर शीर्ष अदालत में गतिरोध की संभावना रह सकती है। केंद्र सरकार ने 2 अगस्त को सीबीआई के निदेशक को न्यूनतम तीन साल के कार्यकाल के साथ अधिक अधिकार देने के एजेंसी के विचार को खारिज कर दिया था।