नैतिकता से दूर होती शिक्षा
भारत को विश्व गुरु कहा जाता है। भारत ने ही विश्व को शून्य आविष्कार से लेकर संस्कृतिक व आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान की। भारत में प्राचीनकाल से तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालय शिक्षा का केन्द्र रहे, जिनकी ख्याति विश्व भर में फैली थी। भारत ने ही गुरु वशिष्ठ व संदीपनी, जैसे गुरु दिये। प्राचीनकाल में शिक्षा का स्तर चाहे भले ही कम रहा हो परन्तु आम लोग में नेतिक व मानवीय मूल्य सर्वोपरि माने जाते थे। किताबी ज्ञान के अतिरिक्त छात्रों को नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक शिक्षा व शारीरिक शिक्षा के ज्ञान से छात्र के जीवन में सर्वांगीण विकास होता था। आधुनिक काल में शिक्षा के स्तर का अधिकतम विकास हुआ सुविधायें अधिक हुई लेकिन धीरे-धीरे नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक शिक्षा व शारीरिक शिक्षा का पतन होता गया। वर्तमान में सारी की सारी शिक्षा प्रणाली विफल हो रही है। गुरु शिष्य के संबंधों का महत्व घट रहा है। भौतिकवादी युग में शिक्षा का मोल-तोल बढ़ा है। शिक्षा आर्थिकीकरण में बदल गई है। गुरु का मूल्य जहाँ अर्थिक हो गया हो तो वहाँ परम्परा व संस्कृति को चोट पहुँचना स्वाभाविक है। यही कारण है कि शिक्षा में समाज की सेवा करने का भाव खत्म होता जा रहा है। वर्तमान समय में शिक्षा पाने का मूल लक्ष्य आर्थिक हो गया है। शिक्षा धीरे-धीरे गरीबों से दूर होती जा रही है। शिक्षा देने वाला शिक्षक आज शिक्षक न होकर सरकारों ने कर्मचारी बना दिया है। गुरुजी,संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक जैसे नामों ने शिक्षकों के स्तर को आम लोगों में गिरा कर रख दिया है। सरकारें घाटे-फायदे वाले व भार पडऩे वाले वेतनों का मूल्यांकन कर कहीं न कहीं नीति बनाने वालों ने भी शिक्षा का मूल्य गिराया है।
हद तो तब हो जाती है जब देश के उच्चतम न्यायालय भी शिक्षा व सरकारों पर टिप्पणी करने लगे तो अंगुली कहीं न कहीं सरकार पर उठती है। आज आवश्यकता शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार करने की दिशा में महती कदम उठाने व शिक्षा प्रणाली में व्यापक फेर-बदल करने की है जिससे शिक्षा मानव व्यवहार में परिवर्तन लाये। आज प्राथमिक शिक्षा में नैतिक व व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करने की अधिक से अधिक आवश्यकता है जिससे गुरु-शिष्य परंपरा कायम रह सके और जब गुरु शिष्य परंपरा कायम होगी तो छात्र नैतिक,सामाजिक, व्यावहारिक मूल्य समझेंगे इससे छात्रों का नैतिक रुप से सर्वांगीण विकास होगा। तब छात्र कल का नागरिक बनकर समाज व देश की सेवा में संलग्न होगा।
भँवर सिंह नरवरिया, भिण्ड