मुजफ्फरनगर : पीड़ित बन शरणार्थी शिविरों में घुसे फर्जी लोग

Update: 2013-09-29 00:00 GMT

मुजफ्फरनगर |  मुजफ्फरनगर में भड़की हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने पलायन करके आने वाले पीड़ितों के रहने, खाने और चिकित्सा सहित अन्य सुविधाओं के लिए राहत शिविर बनाए थे, लेकिन इन्हीं राहत शिविरों में काफी तादात में फर्जी लोगों ने पीड़ित बनकर शरण ले ली।
जिले और आस-पास के इलाकों में सात सितंबर को हिंसा भड़कने के बाद करीब पचास हजार लोग अपना घर छोड़कर पलायन कर गए थे। जिला प्रशासन ने इन पीड़ितों के रहने-खाने के लिए मुजफ्फरनगर और पड़ोस के शामली जिले में करीब 45 राहत शिविर लगाए।
पलायन करके राहत शिविर में शरण लेने वाले पीड़ितों की भीड़ में फर्जी लोग घुस गए जो हिंसा से न तो प्रभावित थे और न ही उनका किसी भी तरह से नुकसान हुआ था।
मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन को आभास हुआ कि काफी तादात में फर्जी लोग शरण लिए हुए हैं। जांच की गई तो 39 शिविरों में 3000 ऐसे लोग पाए गए। कुछ तो मेरठ और बागपत जिलों तक से आए थे।
जिन शिविरों में ज्यादा फर्जी शरणार्थी मिले उनमें शिकारपुर, जौला, मंदवाड़ा, सफीपुर पंट्टी, हुसैनपुर, परासौली, रियावली नगला, इस्लामिया मदरसा, चांद मस्जिद, सांझक, तावली, इस्लामाबाद और मदरसा इस्लामिया के शिविर शामिल हैं। हिंसा के बाद पैदा हुए हालात से लोगों का काम धंधा बंद हो गया। खुद और परिवार का पेट कैसे भरें। इसी सवाल ने ज्यादातर फर्जी लोगों को शिविरों में खींच लाया। अधिकारियों के मुताबिक ऐसे लोगों की सोच थी कि जब तक शिविर चलेंगे कमाने और खाने की फिक्र नहीं रहेगी। समय से दोनों समय सरकारी खाना मिलेगा और कुछ अन्य मदद मिलने की भी उम्मीद थी। इस तरह के लोगों में हालांकि वही लोग शामिल हैं जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपना गुजर-बसर करते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन फर्जी पीड़ितों को चिन्हित किया गया है उन्हें राहत शिविरों से वापस उनके घर भेजा रहा है। उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में हुए विवाद में तीन युवकों की मौत ने तूल पकड़ लिया था, जिसके बाद सात सितंबर को जिले और आस-पास के इलाकों में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में 50 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 125 लोग घायल हुए। हिंसा के बाद 50 हजार लोग अपना घर छोड़कर पलायन कर गए थे।

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