तिरूवनंतपुरम। केरल के ई-साक्षरता हासिल करने की दिशा में अग्रणी प्रयासों की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रशंसा करते हुए देश में डिजीटल फासलों को कम करने की बात कही। सिंह ने पी एन पनिक्कर विकास विज्ञान केंद्र के तहत आने वाले केरल सरकार के पूर्ण ई-साक्षरता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रयास देश भर में करना होगा।
उन्होंने कहा कि देश में आम आदमी के जीवन में सुधार लाने के लिए डिजीटल फासलों को कम करना बेहद जरूरी है। इससे हमें विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली, सेवाओं की बेहतर आपूर्ति (विशेषकर शिक्षा), आर्थिक समावेश और ई-वाणिज्य में सूचना और कंप्यूटर तकनीक की पूरी संभावनाओं को समझने में मदद मिलेगी।
केरल में सार्वभौमिक साक्षरता और पुस्तकालय आंदोलन में दिवंगत पी.एन. पन्निकर की सेवाओं को याद करते हुए मनमोहन ने कहा कि पूर्व में हुए आंदोलनों की ही तर्ज पर शुरू किए जा रहे ई-साक्षरता कार्यक्रम से केरल के सामाजिक और आर्थिक विकास तथा जनता के राजनीतिक सशक्तीकरण की गति तेज की जा सकेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम से सामुदायिक सफलता की कहानियां आसानी से साझा की जा सकेंगी, जिससे सामाजिक पूंजी निर्माण में भी मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि वर्ष 1945 में पन्निकर द्वारा शुरू किया गया ‘ग्रंथशाला संगम’ (पुस्तकालय आंदोलन) 45 पुस्तकालयों के साथ शुरू किया गया था। इस आंदोलन के फलस्वरूप 6000 पुस्तकालयों का पूरा नेटवर्क बन गया। यह आंदोलन केरल के विकास मॉडल की एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।