मुजफ्फरनगर दंगे भड़काने के आरोपी नेताओं के खिलाफ केस वापस लेगी यूपी सरकार!

Update: 2014-01-05 00:00 GMT

लखनऊ |  मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के राहत शिविरों में खराब व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार की हो रही काफी किरकिरी के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे भड़काने के आरोपी मुस्लिम नेताओं के खिलाफ केस वापस लेने की तैयारी कर रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रशासन से पत्र भेजकर केस वापस लेने को लेकर राय मांगी है। हालांकि इस पत्र की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। 30 अगस्त को अल्पसंख्यक नेताओं ने मुजफ्फरनगर में एक पंचायत की थी। पंचायत में इन नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए थे। जिसके बाद सरकार ने इनके खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर लिया गया। कई नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकले, कई गिरफ्तार हुए और कई नेता तो जेल में भी रहकर आ चुके हैं। भाजपा का कहना था कि इन नेताओं के भाषण की वजह से मुजफ्फरनगर में दंगे फैले थे। सरकार ने स्थानीय प्रशासन से पूछा है कि क्या इन नेताओं के केस वापस लिए जा सकते हैं या नहीं? जिन नेताओं के खिलाफ केस वापस लेने की तैयार हो रही है उनमें बसपा के सांसद कादिर राणा, मुजफ्फरनगर के विधायक नूर सलीम राणा, जमील अहमद और कांग्रेसी नेता सईदुज्मा शामिल हैं। सपा सरकार ने लोकसभा चुनाव नजदीक आते हैं वोट बैंक के लिए अपनी कोशिश शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि दो संप्रदायों द्वारा मुजफ्फरनगर में पंचायत आयोजित करके एक दूसरे के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए गए थे। जिसके बाद पूरा मुजफ्फरनगर दंगों की आग में झुलस गया। दंगों में करीब 43 लोगों की मौत और करीब 100 लोग घायल हो गए थे। दंगों के बाद 50,000 लोग बेघर हो गए।

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